SME IPO Rules: अगर आपके पास 2 लाख रुपये हैं, तभी आप SME IPO में पैसा लगा पाएंगे! सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी Sebi ने कुछ ऐसे ही नए नियम लागू करने का प्रस्ताव रखा है। SEBI का मानना है कि इस कदम से छोटे निवेशक IPO मार्केट से दूर हट जाएंगे और सिर्फ वहीं निवेशक बने रहेंगे, जिनकी जोखिम उठाने की क्षमता अधिक होगी और उनके पास सही जानकारी होगी। SEBI ने और कौन-कौन से नियम बदलने का प्रस्ताव रखा है, आइए जानते हैं-
1. न्यूनतम आवेदन राशि को किया जाएगा दोगुना
SEBI ने जो सबसे बड़ा प्रस्ताव रखा है, वो यह है कि SME IPO में आवेदन की न्यूनतम राशि को अब 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया जाना चाहिए। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि SME IPOs में बोली लगाने वाले छोटे निवेशकों की संख्या में पिछले कुछ सालों के दौरान जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है।
FY22 में एक SME IPO को जहां औसतन 4 गुना सब्सक्रिप्शन मिलते थे, वहीं FY24 में यह बढ़कर करीब 245 गुना पर पहुंच गया। SME IPOs के साथ दिक्कत यह होती है कि इनके बारे में बहुत ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं होती है, ऐसे में इनमें जोखिम ज्यादा होते हैं। लिस्टिंग के बाद अगर मार्केट का सेंटीमेंट बदला, तो छोटे निवेशकों ऐसे शेयरों में काफी लंबे समय के लिए फंस जाते हैं। SEBI यही चीज रोकना चाहता है।
2. NIIs के लिए लॉटरी सिस्टम का प्रस्ताव
इस बदलाव के अलावा Sebi ने कई और अहम प्रस्ताव दिए हैं। जैसे उसने नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स यानी NIIs के लिए प्रोपोर्शनेट आंवटन की जगह लॉटरी सिस्टम को लागू करने का सुझाव दिया है। मेनबोर्ड IPO में पहले से ही यह सिस्टम लागू है और अब इसे ही SME IPOs में भी लागू करने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे शेयर आवंटन में निष्पक्षता आएगी और ओवर-लीवरेजिंग को भी रोका जा सकेग।
3. ऑफर-फॉर सेल का साइज 20% तक सीमित हो
इसके अलावा, ऑफर-फॉर सेल (OFS) को लेकर भी Sebi ने कड़े नियमों का सुझाव दिया है। SEBI ने कहा कि ऑफर-फॉर सेल का साइज, IPOs के कुल साइज 20 फीसदी तक सीमित होना चाहिए। फिलहाल अभी तक इस पर कोई रोकटोक नहीं है।
4. मॉनिटरिंग एजेंसी की नियुक्ति
Sebi ने यह भी सुझाव दिया है कि 20 करोड़ रुपये से अधिक के इश्यू साइज वाले SME IPOs के लिए एक मॉनिटरिंग एजेंसी की अनिवार्य रुप से नियुक्ति की जानी चाहिए। इससे यह पक्का किया जा सकेगा कि कंपनी जुटाई गई राशि का इस्तेमाल उन्हीं उद्देश्यों के लिए करे, जैसा उसने IPO लाते समय निवेशकों को बताया था।
5. प्रमोटर्स के लॉक-इन अवधि में इजाफा
प्रमोटर्स के लिए भी लॉक-इन अवधि को बढ़ाकर 5 साल करने का प्रस्ताव है, जो अभी 3 साल है। यानी IPO आने के अगले 5 साल तक प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी नहीं बेच सकेंगे। इससे कंपनी की लंबी अवधि की स्थिरता पक्का की जा सकेगी।
6. SME IPO के न्यूनतम इश्यू साइज में इजाफा
इसके अलावा, Sebi ने प्रस्ताव दिया है कि SME IPO का न्यूनतम इश्यू साइज ₹10 करोड़ होना चाहिए और पिछले तीन में से दो वित्त वर्षों के दौरान कंपनी ने म से कम 3 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दर्ज किया हो। SEBI का मानना है कि इस प्रस्ताव से यह तय होगा कि केवल मजबूत कंपनियां ही SME IPO के लिए आवेदन कर सकें।
SEBI ने इन प्रस्तावों पर अब पब्लिक की राय मांगी है। आप 4 दिसंबर तक इन प्रस्तावों पर अपना सुझाव दे सकते हैं। इसके बाद SEBI इन प्रस्तावों को अंतिम रूप देगा और नियम के रूप में नोटिफाई करेगा। कॉर्पोरेट कंप्लायंस फर्म MMJC & Associates के फाउंडर मकरंद एम जोशी का कहना है कि ‘ये प्रस्ताव SME प्लेटफॉर्म पर अनचाही ट्रेडिंग प्रैक्टिसेज पर अंकुश लगाने में मदद करेंगे। हालांकि, इससे SME कंपनियों की कॉम्प्लायंस लागत बढ़ सकती है।