मोतीलाल ओसवाल प्राइवेट वेल्थ ने हालिया नोट में कहा है कि सहज रिटर्न का वह दौर बीत गया लगता है, जब तेजी के ज्वार में हर कश्ती उछल रही थी। उसने इसके लिए आगामी वर्षों में कंपनियों की आय वृद्धि में नरमी की संभावना का हवाला दिया है।
मोतीलाल ओसवाल वेल्थ के प्रबंध निदेशक और सीईओ आशिष शंकर ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में से 22 में बाजारों में 10 फीसदी या उससे अधिक साल के भीतर गिरावट देखी गई है और निवेशकों को तेजी के ऐसे उतार-चढ़ाव वाले दौर के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
हमारे विचार में सहज रिटर्न का दौर (जहां ज्वार बढ़ने पर सभी नौकाएं उछल जाती हैं) खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि हम बाजार के रुझानों के पीछे भागने के बजाय टिकाऊ वृद्धि दिखाने वाले मजबूत व्यवसायों वाली कंपनियों पर ध्यान देने का अपना रुख दोहराते हैं।
संपदा प्रबंधन फर्म के अनुसार वित्त वर्ष 2024-2026 में आय वृद्धि घटकर 12-14 फीसदी सालाना चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) तक रहने का अनुमान है जो वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही की तरह अंतरिम लेकिन कम समय की सुस्ती हो सकती है। इसमें कहा गया है, पिछले 2 वर्षों में सभी मार्केट कैप में मजबूत तेजी के बाद भविष्य में रिटर्न की उम्मीदों को भी आय की चाल के मुताबिक कम किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इक्विटी बाजार में हालिया सुधार ने लार्जकैप वैल्यूएशन को दीर्घकालिक औसत के लगभग बराबर ला दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मिडकैप और स्मॉलकैप वैल्यूएशन अपेक्षाकृत महंगे बने हुए हैं।
शंकर ने कहा कि निवेशकों को इक्विटी में निवेश करते समय टुकड़ों में निवेश का दृष्टिकोण अपनाना चाहिए – लार्जकैप और मल्टीकैप रणनीतियों के लिए 3-6 महीने और मिडकैप और स्मॉलकैप रणनीतियों के लिए 6-12 महीने। उन्होंने कहा कि एकमुश्त निवेश के लिए इक्विटी ओरिएंटेड हाइब्रिड स्ट्रैटिजी पर विचार किया जा सकता है।