फाइनेंशियल एडवाइजर्स निवेश की शुरुआत जल्द करने की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि जल्द निवेश शुरू करने से बड़ा फंड तैयार करना आसान हो जाता है। लेकिन, सवाल है कि अगर पहले से लोन चल रहा है तो उसे पूरी तरह से चुका देने के बाद निवेश करना चाहिए या लोन की ईएमआई चुकाने के साथ निवेश किया जा सकता है? दरअसल, युवाओं के सामने ऐसी स्थिति आ रही है। कई स्टूडेंट प्रोफेशनल स्टडी के लिए एजुकेशन लोन लेते हैं। विदेश में पढ़ाई के लिए ज्यादा अमाउंट का एजुकेशन लेना पड़ता है। पढ़ाई के बाद नौकरी लगने पर हर महीने सैलरी मिलनी शुरू हो जाती है। कुछ कंपनियां ज्वाइनिंग बोनस भी देती हैं। तो क्या ज्वाइनिंग बोनस के पैसे का इस्तेमाल लोन चुकाने के लिए करना चाहिए?
लोन की EMI चुकाना पहली प्राथमिकता
एक्सपर्ट्स का कहना है कि नौकरी शुरू करने पर एजुकेशन लोन की EMI पेमेंट पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन, निवेश के लिए लोन खत्म होने का इंतजार करना ठीक नहीं है। दोनों चीजें एक साल चल सकती हैं। अगर कोई व्यक्ति इनकम टैक्स की ओल्ड स्कीम का इस्तेमाल करता है तो एजुकेशन लोन (Education Loan) के इंटरेस्ट पर उसे डिडक्शन का फायदा मिलेगा। इससे उसकी टैक्स लायबिलिटी घट जाएगी। ज्वाइनिंग बोनस के पैसे का इस्तेमाल कर लोन को पूरी तरह चुका देने पर इस डिडक्शन का लाभ नहीं मिलेगा।
ज्वाइनिंग बोनस का सही इस्तेमाल
अगर नौकरी ज्वाइन करने पर बड़ा ज्वाइनिंग बोनस मिलता है तो उसका इस्तेमाल इमर्जेंसी फंड बनाने के लिए किया जा सकता है। इससे अगर किसी वजह से नौकरी चली जाती है तो एजुकेशन लोन की ईएमआई के पेमेंट में दिक्कत नहीं आएगी। व्यक्ति दूसरी नौकरी मिलने तक आसानी से इमर्जेंसी फंड के पैसे का इस्तेमाल लोन की EMI चुकाने के लिए कर सकता है। इमर्जेंसी फंड नहीं होने पर नौकरी जाने की स्थिति में उसे एजुकेशन लोन की EMI चुकाने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
लोन के रिपेमेंट के साथ-साथ निवेश
फाइनेंशियल एडवाइजर का यह भी कहना है कि पहली नौकरी लगने पर एजुकेशन लोन चुकाने के साथ सैलरी के कुछ हिस्से का इस्तेमाल निवेश के लिए भी किया जा सकता है। इसके लिए म्यूचुअल फंड की SIP का इस्तेमाल किया जा सकता है। फिर दूसरी नौकरी में अच्छा सैलरी पैकेज मिलने पर एजुकेशन लोन के प्रीपेमेंट के बारे में सोचा जा सकता है। इससे ईएमआई के साथ निवेश भी चलता रहेगा। इससे लंबी अवधि में बड़ा फंड भी आसानी से तैयार हो जाएगा।