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50 दिन में डूबे ₹50 लाख करोड़! शेयर बाजार की गिरावट में निवेशक तबाह, PSU ने कराया सबसे अधिक घाटा

50 दिन में 50 लाख करोड़ रुपये साफ। शेयर बाजार में 27 सितंबर के बाद से कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का कुल मार्केट कैप 27 सितंबर को लगभग 478 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर था, जो अब घटकर करीब 429 करोड़ रुपये पर आ गया है। यानी करीब 49 लाख लाख करोड़ रुपये का नुकसान। यह रकम नार्वे, थाईलैंड, इजराइल सहित दुनिया की कई देशों की GDP से भी ज्यादा बड़ी है। इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर सरकारी कंपनियों यानी पीएसयूज पर पड़ा है। पीएसयू कंपनियों ने कुल 15 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेला, जो कुल गिरावट का 31 प्रतिशत है। इसके अलावा, BSE Sensex में शामिल कंपनियों की मार्केट कैप में 13.28 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई, जबकि मिडकैप कंपनियों ने 8.36 लाख करोड़ रुपये और स्मॉलकैप कंपनियों ने 6.87 लाख करोड़ रुपये गंवाए।

इस भारी गिरावट के पीछे कई कारण रहे, जिनमें घरेलू और ग्लोबल दोनों फैक्टर शामिल हैं। सबसे पहला रीजन तो यही है कि विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने बाजार पर दबाव डाला है। विदेशी निवेशकों ने हाल के हफ्तों में बाजार से पैसा निकाला है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ी है।

इसके अलावा, सितंबर तिमाही के कमजोर नतीजों से भी निवेशकों का भरोसा डगमगाया है। JM फाइनेंशियल ने बताया कि उसके वरजे वाली लगभग आधी कंपनियों की अर्निंग ग्रोथ उम्मीद से कम रही है, जिससे उनके शेयरों की कीमतें गिरीं। सरकारी कंपनियों में से तो अधिकतर के नतीजे उसके अनुमान से कम रहे हैं। साथ ही, बाजार में कई सेक्टर्स में वैल्यूएशन अधिक हो गया था, यानी कंपनियों के शेयर महंगे हो गए थे। इसके चलते निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली देखने को मिली।

 

ग्लोबल स्तर पर बात करें रूस-यूक्रेन जंग और इजराइल-हमास विवाद जैसे भू-राजनीतिक तनाव भी बाजार पर भारी पड़े। इन संघर्षों से क्रूड ऑयल के दाम में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। इसके अलावा, अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी ने भी ग्लोबल बाजारों को परेशान किया क्योंकि इससे ट्रेड वॉर के फिर से शुरू होने की आशंका है।

अब जानते हैं कि आखिर बाजार में जारी इस उठापटक के बीच एक्सपर्ट्स का क्या कहना है। क्वांटम AMC के क्रिस्टी माथाई का मानना है कि कई सेक्टर्स में वैल्यूएशन खतरनाक रूप से ऊंचा हो गया है। उन्होंने कहा है कि वे करीब 16-17 प्रतिशत की नकदी पर बैठे हैं। अगर बाजार में और गिरावट आती है, तो उनके पास निवेश के लिए कैश तैयार है।

वहीं CLSA के रिसर्च हेड शॉन कॉक्रेन ने कहा कि बाजार में इस करेक्शन का लंबे समय से अनुमान लगाया जा रहा था। उनका मानना है कि यह गिरावट बाजार को बैलेंस करने के लिए जरूरी थी। उन्होंने सुझाव दिया कि निवेशकों को इस समय तिमाही नतीजों और कंपनियों के फंडामेंटल्स पर फोकस करना चाहिए।

एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि निवेशकों को बाजार में इस उतार-चढ़ाव से घबराने की कोई जरूरत नहीं है और इसकी जगह लॉन्ग टर्म पर फोकस करना चाहिए। क्रिस्टी माथाई का मानना है कि लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट 6.5-8% के बीच रह सकती है। अगर आप अपने निवेश को लंबे समय तक बनाए रखते हैं और इसे सही जगह पर लगाते हैं, तो आपको 14-15% तक का सालाना रिटर्न मिल सकता है।

इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप SIP यानी सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए निवेश करते रहें। बाजार की अस्थिरता के बावजूद, एसआईपी एक मजबूत निवेश विकल्प है, जो आपको समय के साथ बेहतर रिटर्न दे सकता है।

 

डिस्क्लेमरः एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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