क्विक कॉमर्स सेगमेंट में बढ़ते कॉम्पिटिशन के बीच पिछले दो महीनों में जेप्टो (Zepto) का कैश बर्न बढ़कर 250 करोड़ रुपये (3 करोड़ डॉलर) हो गया है। कैश बर्न में यह बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है, जब जेप्टो ने भारत में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) से 2,500 करोड़ रुपये जुटाए हैं। दरअसल, कंपनी का इरादा प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबले के लिए रिजर्व फंड रखना चाहती है।
मामले से वाकिफ सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया कि इस साल मई में जेप्टो का मंथली बर्न 35-40 करोड़ रुपये के रेंज में था, जो पिछले 3 महीनों में 6 गुना से भी ज्यादा बढ़ गया है, क्योंकि कंपनी ने ऑपरेशंस, डिजिटल मार्केटिंग और हायरिंग में निवेश बढ़ाया है।
जेप्टो के कैश बर्न ने पकड़ी रफ्तार
सूत्रों ने बताया कि सितंबर में जहां कंपनी का कैश बर्न 250 करोड़ रुपये रहा, जबकि अक्टूबर में यह आंकड़ा 300 करोड़ रुपये था। नवंबर में भी यह 300 रुपये के आसपास रहने की संभावना है। भारत में यह समय सालाना फेस्टिव सीजन का भी होता है, जो ई-कॉमर्स के लिए सबसे व्यस्त तिमाही होती है। जेप्टो के CEO और को-फाउंडर आदित पालीचा ने भी इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया, ‘ हमारे 70 पर्सेंट से भी ज्यादा मौजूदा स्टोर्स इबिट्डा प्रॉफिट का आंकड़ा छू चुके हैं। जो पूंजी हम खर्च कर रहे हैं, वह मुख्य तौर पर कैपिटल एक्सपेंडिचर, वर्किंग कैपिटल और प्रति तिमाही 100 नए स्टोर को लॉन्च करने से जुड़े सेट-अप के लिए है।’
सूत्रों के मुताबिक, जेप्टो डिजिटल मार्केटिंग और परफॉर्मेंस मार्केटिंग पर आक्रामक तरीके से खर्च कर रही है। साथ ही, गूगल व मेटा पर कीवर्ड्स खरीदने के लिए पैसे खर्च कर रही है।
कीवर्ड्स, टैलेंट कॉस्ट में बढ़ोतरी
एक सूत्र ने मनीकंट्रोल को बताया, ‘पिछले एक महीने में कीवर्ड्स खरीदने की दरों में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि जेप्टो की बिड काफी ऊंची है। कुछ कंपनियों ने इस पर खर्च करना बंद कर दिया है, क्योंकि इस दर पर ग्राहक हासिल करने का कोई मतलब नहीं बनता है। जेप्टो डिजिटल मार्केटिंग पर तकरीबन 120 करोड़ प्रति महीना खर्च कर रही है और यह अपनी कैटेगरी में अग्रणी ऐप है। प्लेस्टोर पर इसके डाउनलोड को देखकर यह बात समझी जा सकती है।’