मॉर्गन स्टैनली ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय शेयरों (बीएसई सेंसेक्स) ने 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि में रियल एस्टेट, सोने, 10 वर्षीय बॉन्ड और बैंक सावधि जमाओं (एफडी) जैसे परिसंपत्ति वर्गों के मुकाबले ज्यादा रिटर्न दिया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हालांकि इस रिटर्न (कर-पूर्व) के लिए निवेशकों को जोखिम लेने और निवेश के दौरान शेयरों में उतार-चढ़ाव को झेलने में सक्षम होना चाहिए।
मॉर्गन स्टैनली के अनुसार इक्विटी (इस मामले में सेंसेक्स) ने 25 साल की अवधि के दौरान सालाना 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि की दर से कर-पूर्व रिटर्न दिया जो सोने (11.1 प्रतिशत), बैंक एफडी (7.3 प्रतिशत) और सात प्रमुख भारतीय शहरों में संपत्ति/रियल एस्टेट में 7 प्रतिशत के मुकाबले अधिक है।
हालांकि, इक्विटी निवेशकों को इस रिटर्न के लिए 30.7 प्रतिशत के ऊंचे उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा जबकि सोने के लिए यह 11.3 प्रतिशत और बैंक एफडी के लिए 1.6 प्रतिशत था।
मॉर्गन स्टैनली में इंडिया रिसर्च के प्रमुख और रणनीतिकार रिधम देसाई ने शीला राठी और नयंत पारेख के साथ तैयार रिपोर्ट में लिखा है, ‘अगर पिछले दशक में संपत्ति सृजन पर नजर डालें तो हमारा अनुमान है कि परिवारों ने 8.5 लाख करोड़ डॉलर की संपत्ति अर्जित की है, जिसमें से लगभग 11 प्रतिशत इक्विटी से आई (हमारे अनुमान के अनुसार इसमें संस्थापकों को भी शामिल कर दें तो यह आंकड़ा लगभग 20 प्रतिशत है)। संपत्ति वृद्धि में इक्विटी का यह अनुपात से ज्यादा हिस्सा हमारी इस राय को और पुष्ट करता है कि घरेलू इक्विटी में निवेश मजबूत बना रहेगा।’
देसाई ने लिखा कि भारतीय परिवार अभी भी इक्विटी में कम निवेश करते हैं। लागत के हिसाब से, संस्थापकों की इक्विटी होल्डिंग्स को छोड़ दें तो परिवारों की वित्तीय हैसियत का केवल 3 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी में है। उनका मानना है कि यह संख्या आने वाले वर्षों में दो अंक तक बढ़ सकती है। मॉर्गन स्टैनली का अनुमान है कि संस्थापक की संपत्ति को छोड़ दिया जाए तो इक्विटी होल्डिंग्स मौजूदा बाजार मूल्य पर परिवारों की वित्तीय स्थिति की लगभग 8 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सोने में बड़ी मात्रा में निवेश से घरेलू संपत्ति में तेज वृद्धि हुई है। सोना और शेयर समय के अनुसार भारत में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले परिसंपत्ति वर्ग रहे हैं।’ मौजूदा बाजार परिवेश में विश्लेषकों ने निवेशकों को शेयरों के चयन पर जोर देने और उन्हीं कंपनियों पर दांव लगाने का सुझाव दिया है जिनमें कम से कम अगली कुछ तिमाहियों में आय की संभावना जरूर दिख रही हो।
मिरै ऐसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) में मुख्य निवेश अधिकारी नीलेश सुराणा का मानना है कि दीर्घावधि नजरिये से भारत का आर्थिक बुनियादी आधार मजबूत बना हुआ है और यह खपत तथा निवेश, दोनों से जुड़े मजबूत वृद्धि कारकों पर आधारित है।