रबी सीजन में गेहूं की बुआई में गिरावट आई है। पिछले साल से बुआई में 15% की गिरावट देखने को मिली है। 8 नवंबर तक गेहूं की 41.30 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई। जबकि सरकार को 114 मिलियन टन उत्पादन का अनुमान था। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ व्हीट एंड बार्ली रिसर्च (IIWBR ) ने महीने के अंत तक नॉर्थ में बुआई बढ़ने की उम्मीद जताई थी। बीते 5 सालों में औसतन 312 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई।
देश में गेहूं की बुआई के आंकड़ों पर नजर डालें तो 8 नवंबर 2023 को देश में 48.87लाख हेक्टेयर गेहूं की बुआई हुई थी। वहीं 8 नवंबर 2024 तक 41.30 लाख हेक्टेयर गेहूं की बुआई हुई।
पूर्व एग्री सेक्रेटरी सिराज हुसैन ने कहा कि मध्यप्रदेश सहित कुछ एरिया में देर तक बारिश होने के कारण जिन जगहों में धान होता है वहां बुआई में देरी हुई। कुछ इलाकों में सोयाबीन का हार्वेस्टिंग भी पिछड़ा है। हालांकि बारिश के साथ तापमान भी बड़ा मुद्दा रहा है। अब तक तापमान कम नहीं होने के कारण बुआई में देरी हुई है।
उन्होंने आगे कहा कि बुआई में देरी का असर तुरंत प्राइसिंग पर नहीं दिखेगा लेकिन सरकार के आंकड़ों के मुताबिक जितना गेहूं का उत्पादन है उसके अनुसार देखा जाए तो गेहूं के कीमतों में उछाल नहीं आना चाहिए। लेकिन ज्यादा एक कमोडिटी में महंगाई का असर दूसरी कमोडिटी पर भी पड़ रहा है। कमोडिटी में 10 फीसदी से ज्यादा फूड इफ्लेशन है। उन्होंने आगे कहा कि राइस का प्रोडक्शन इस साल अच्छा होने की उम्मीद है। जिसके चलते अभी किसी तरह की कीमतों में बढ़त देखने को नहीं मिल रही है।
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