स्टॉक मार्केट में गिरावट रुकने का नाम नहीं ले रही है। इस गिरावट के बारे में एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है। विदेशी निवेशक अक्टूबर की शुरुआत से ही इंडियन मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं। वे एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली कर चुके हैं। पहले कभी उन्होंने एक महीने में इतनी ज्यादा बिकवाली नहीं की थी। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि वे चीन और अमेरिकी मार्केट में निवेश करने के लिए इंडियन मार्केट में बिकवाली कर रहे हैं। मनीकंट्रोल ने इसकी असल वजह जानने के लिए हेलियस कैपिटल के फाउंडर समीर अरोड़ा से बातचीत की।
विदेशी निवेशकों की बिकवाली की वजह
अरोड़ा ने कहा कि FIIs की बिकवाली की असली वजह कंपनियों की खराब अर्निंग्स (Earnings) हैं। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशक चीन और अमेरिकी स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए नहीं बल्कि खराब अर्निंग्स की वजह से बिकवाली कर रहे हैं। सितंबर तिमाही में ज्यादातर कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर रही है। इधर, ज्यादातर कंपनियों की वैल्यूएशन पहले से ज्यादा थी। अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर रहने से सेंटीमेंट पर खराब असर पड़ा है। विदेशी निवशक मौजूदा वैल्यूएशन को महंगा मान रहे हैं।
विदेशी निवेशकों का इंडिया में काफी कम निवेश
उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत के बाद डोनाल्ड ट्रंप के रुख को देखते हुए ऐसा लगता है कि निवेशक चीन में निवेश करने से परहेज करेंगे। लेकिन, ऐसा होगा यह जरूरी नहीं। उन्होंने कहा ग्लोबल इनवेस्टर्स का इंडिया में काफी कम निवेश है। उनका इंडिया में करीब 1 फीसदी निवेश है। इसके मुकाबले उन्होंने अमेरिकी बाजार में 60 फीसदी निवेश किया है। इस बात की कम संभावना है कि वे अमेरिका में निवेश बढ़ाने के लिए इंडिया में अपना निवेश घटाएंगे, क्योंकि उनका पहले से ही यहां कम निवेश है।
तीन महीनों तक अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर रह सकती है
मुंबई में आयोजित सीएनबीसी-टीवी18 ग्लोबल लीडरशिप समिट में हिस्सा लेने आए अरोड़ा ने एक चर्चा में कहा कि अगले तीन महीनों तक कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ कमजोर बनी रह सकती है। करीब 6 से 9 महीने बाद ही अर्निंग्स की ग्रोथ फिर से बेहतर दिखेगी। ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर इंडियन मार्केट्स पर पड़ने वाले असर के बारे में उन्होंने कहा कि इसका इंडिया पर कोई निगेटिव असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमारे मार्केट का प्रदर्शन अमेरिका के मुकाबले कमजोर हो सकता है। लेकिन, निराश होने की कोई वजह नहीं है।
कंज्यूमर के लिए प्रोडक्ट्स बनाने वाली कंपनियों में मौका
भविष्य में निवेश की रणनीति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि निवेशकों को उन कंपनियों पर फोकस नहीं करना चाहिए जो दूसरी कंपनियों के लिए काम करती हैं। उनकी जगह ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करना चाहिए जो सीधे ग्राहकों के लिए प्रोडक्ट्स बनाती हैं। उन्होंने फूड डिलीवरी कंपनियों, क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनियों का उदाहरण दिया।