Uncategorized

एफपीआई से एफडीआई के दर्जे से विदेशी फंडों को मिलेगी आजादी

बाजार विश्लेषकों का मानना है कि 10 प्रतिशत की सीमा के उल्लंघन की स्थिति में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने के परिचालन ढांचे से कुछ विदेशी फंडों को भारत में अपने निवेश के साथ ज्यादा लचीलापन मिलेगा।

प्राइमइन्फोबेस की ओर से मुहैया आंकड़ों के अनुसार नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर ऐसी करीब 17 कंपनियां सूचीबद्ध हैं जिनमें सिंगल एफपीआई की हिस्सेदारी 9 फीसदी है। इनमें से ज्यादातर मॉरिशस और सिंगापुर जैसे लोकप्रिय स्थानों से जुड़े हैं।

यदि ये निवेशक किसी निवेशित कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से अधिक रखना चाहते हैं, तो उनके पास अब हिस्सेदारी बेचने या सरकार से अनुमति मिलने पर एफडीआई के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने का विकल्प भी होगा।

डेलॉयट में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, ‘इस फ्रेमवर्क के लिए उद्योग से मांग की जा रही थी। यदि एफपीआई को किसी कंपनी में अवसर दिखता है, तो वे अधिक निवेश कर सकते हैं। यह खास तौर पर कई स्टार्टअप और छोटी पूंजी वाली अन्य मध्य आकार की कंपनियों के लिए जरूरी था। इससे पहले कस्टोडियन उल्लंघन के मामले में रिपोर्टिंग के बारे में स्पष्ट नहीं थे।’

हालांकि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) में पुनर्वर्गीकरण के मानदंड पहले से ही मौजूद थे। लेकिन परिचालन संबंधी दिशा-निर्देशों के अभाव में उद्योग जगत ने यथास्थिति बनाए रखी। इस सप्ताह के शुरू में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने एफपीआई-टु-एफडीआई ट्रांजिशन के लिए व्यापक रूपरेखा जारी की। गांधी ने कहा कि जहां यह फ्रेमवर्क व्यापक स्वायत्तता प्रदान करता है, वहीं इससे एफडीआई पर पुन: वर्गीकरण से संबंधित कर देनदारी भी बढ़ जाएगी।

ग्रांट थॉर्नटन भारत में पार्टनर विवेक अय्यर ने कहा, ‘10 प्रतिशत से अधिक का कोई भी निवेश उन निवेशकों के लिए था जो संगठन को मूल्यवर्द्धक मार्गदर्शन प्रदान करने और कंपनी और व्यापक अर्थव्यवस्था के व्यापक विकास में योगदान देने में रुचि रखते थे। यह अंतर धारणा के स्तर पर पहले से मौजूद था और अब जारी दिशा-निर्देशों में भी इसे स्पष्ट कर दिया गया है।’

फ्रेमवर्क के अनुसार एक बार पुनर्वर्गीकृत हो जाने पर एफपीआई का संपूर्ण निवेश एफडीआई माना जाएगा और वह एफडीआई ही रहेगा, भले ही बाद में उसकी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से कम हो जाए। एफपीआई को निवेश एफडीआई के रूप में पुनर्वर्गीकृत कराने का अपना इरादा बताना होगा। गांधी ने कहा, ‘कुछ खास मामलों में ज्यादा स्पष्टता की जरूरत हो सकती है, जिनमें कई प्रबंधक विभिन्न कस्टोडियन के साथ डीलिंग कर रहे हों।’

एक बैंक से जुड़े कस्टोडियन ने कहा, ‘बाजार नियामक ने पिछले साल उन एफपीआई के लिए आर्थिक हित और अंतिम लाभकारी के स्वामित्व पर विस्तृत खुलासे के लिए अधिक कड़े मानदंड लागू किए थे। यह उन एफपीआ के लिए था जिनका किसी एक कॉरपोरेट समूह में 50 प्रतिशत से अधिक निवेश है। ऐसे करीब 6-7 एफपीआई ने खुलासा मानकों से छूट मांगी थी। लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। यदि यह ढांचा पहले ही लागू हो गया होता तो कई एफपीआई एफडीआई के रूप में पुनर्वर्गीकृत होने का विकल्प चुन लेते।’

कस्टोडियन ने कहा कि कई ऐसे एफपीआई ने खुलासा मानकों का पालन करने के लिए अपनी हिस्सेदारी घटाई या पूरी तरह से बाहर निकल गए।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top
NIFTY 50 
₹ 23,349.90  0.72%  
NIFTY BANK 
₹ 50,372.90  0.50%  
S&P BSE SENSEX 
₹ 77,155.79  0.54%  
RELIANCE INDUSTRIES LTD 
₹ 1,223.00  1.50%  
HDFC BANK LTD 
₹ 1,741.20  0.06%  
CIPLA LTD 
₹ 1,465.50  0.41%  
TATA MOTORS LIMITED 
₹ 773.85  1.19%  
STATE BANK OF INDIA 
₹ 780.75  2.77%  
BAJAJ FINANCE LIMITED 
₹ 6,465.65  1.97%  
BHARTI AIRTEL LIMITED 
₹ 1,525.15  0.02%  
WIPRO LTD 
₹ 557.15  0.86%  
ICICI BANK LTD. 
₹ 1,250.55  0.12%  
TATA STEEL LIMITED 
₹ 140.22  0.54%  
HINDALCO INDUSTRIES LTD 
₹ 648.05  1.26%