Nifty 50: शेयर बाजार में लगातार हो रही गिरावट ने निवेशकों का हौसला पस्त कर दिया है। बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स ने 20 महीनों में पहली बार आज इंट्राडे में 200-डे मूविंग एवरेज को छू लिया। 200-डे मूविंग एवरेज एक अहम टेक्निकल इंडिकेटर है, जो इनवेस्टर सेंटीमेंट और बाजार की दिशा को दिखाता है। 13 नवंबर को कारोबार के दौरान निफ्टी 50 ने 23509 के निचले स्तर को छू लिया, जबकि 200-डे मूविंग एवरेज (DMA) 23545 के स्तर पर है। हालांकि, कारोबार के अंत में कुछ रिकवरी दिखी और इंडेक्स इस लेवल से ऊपर 23559.05 पर क्लोज हुआ है। पिछली बार निफ्टी 50 इस इंडिकेटर से नीचे अप्रैल 2023 में आया था।
एक्सपर्ट्स को आगे भी वोलैटिलिटी की उम्मीद
आज की गिरावट के बाद अब निफ्टी 50 अपने रिकॉर्ड हाई से 10 फीसदी से अधिक टूट चुका है। हाल ही में विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली ने शेयर बाजार पर दबाव को बढ़ा दिया। एक्सपर्ट्स का मानना है कि लिमिटेड पॉजिटिव ट्रिगर्स के साथ शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी बनी रहने की उम्मीद है। रिटेल पार्टिसिपेशन स्थिर बनी हुई है, लेकिन लगातार बाजार में गिरावट के चलते चिंताएं बढ़ रही है।
फिसडम के रिसर्च हेड नीरव करकेरा के अनुसार निफ्टी में 150-200 अंकों की और गिरावट आ सकती है। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने मार्केट सेंटीमेंट को भारी नुकसान पहुंचाया है। अक्टूबर में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिकवाली हुई है, और नवंबर में अब तक 26,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बिकवाली हो चुकी है।
वेल्थमिल्स सिक्योरिटीज में इक्विटी स्ट्रैटेजी की डायरेक्टर क्रांती बाथिनी ने कहा कि लगातार विदेशी बिकवाली और कमजोर ग्लोबल संकेतों ने डोमेस्टिक मार्केट सेंटीमेंट को प्रभावित किया है, DII की लगातार खरीदारी बाजार संतुलन को वापस पॉजिटिव टेरिटरी में लाने में असमर्थ रही।
19 में से 15 सेक्टोरल इंडेक्स में भारी गिरावट
19 में से 15 सेक्टोरल इंडेक्स अपने 52-वीक हाई से 10 फीसदी से अधिक गिर गए हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित सेक्टर्स में BSE ऑयल एंड गैस और एनर्जी इंडेक्स शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में 19 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है। इसके बाद रियल्टी और टेलीकॉम का स्थान है, जो अपने उच्चतम स्तर से 16 फीसदी से ज्यादा नीचे गिरे हैं। बीएसई ऑटो इंडेक्स में 15.7 फीसदी और पावर में 14.6 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि सर्विसेज और यूटिलिटीज अपने-अपने 52-वीक हाई से 14 फीसदी से अधिक गिर गए। बीएसई पीएसयू इंडेक्स में 52-वीक हाई से 15 फीसदी से अधिक की गिरावट आई, जबकि BSE SME IPO और BSE IPO इंडेक्स में 13 फीसदी और 10 फीसदी की गिरावट आई है।
एनालिस्ट्स का मानना है कि हाल की गिरावट के लिए ग्लोबल और डोमेस्टिक फैक्टर्स जिम्मेदार हैं। इसमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन, ऑयल एंड गैस और एनर्जी जैसे सेक्टर्स को प्रभावित करने वाली वोलैटाइल कमोडिटी कीमतें, और बढ़ती इनपुट कॉस्ट के साथ-साथ कमजोर कंज्यूमर डिमांड जैसे फैक्टर्स शामिल है, जिसने ऑटो, FMCG और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स को प्रभावित किया है।
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