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Daily Voice: वाटरफील्ड एडवाइजर्स के विपुल भोवार की राय, आर्थिक माहौल बना रहा खराब तो तीसरी तिमाही में भी नतीजे रहेंगे कमजोर

हालांकि चुनिंदा बीएफएसआई शेयरों और आईटी जैसे खास सक्टरों के लिए उत्साहजनक संकेत हैं, लेकिन कुल मिलाकर आर्थिक माहौल चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। वॉटरफील्ड एडवाइजर्स के सीनियर डायरेक्टर लिस्टेड इन्वेस्टमेंट विपुल भोवर ने मनीकंट्रोल को दिए इंटरव्यू में कहा कि इससे पता चलता है कि दिसंबर तिमाही में कंपनियों की आर्निंग में होने वाला कोई भी सुधार सीमित ही रह सकता है या फिर अलग-अलग इंडस्ट्री में अलग-अलग हो सकता है।

उनका यह भी कहना है कि डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी से भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी मजबूत होने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके पिछले तालमेल को देखते हुए हमें अच्छी उम्मीद दिख रही है। भोवार ने आगे कहा कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंध ट्रेड और डिफेंस में सकारात्मक बातचीत को बढ़ा सकते हैं जिससे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा,कर कटौती और ट्रेड प्रोत्साहन पर उनके जोर से अमेरिकी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है, जिसका भारतीय कंपनिंयो पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

बाजार पर बात करते हुए विपुल भोवार ने कहा कि अमेरिकी चुनावों के बाद भारतीय इक्विटी बाजार नए रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने से पहले कंसोलीडेशन फेज में जाते दिख सकते हैं। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि अमेरिकी चुनाव के नतीजे आर्थिक नीतियों में बदलाव के कारण भारतीय बाजारों और ट्रेड को प्रभावित करते रहे है। ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” की नीति संरक्षणवाद के कारण भारतीय निर्यात के लिए चुनौतियां पैदा कर सकती हैं। लेकिन ट्रंप की कुछ नीतियां भारत के लिए अवसर भी प्रदान कर सकती हैं,जिससे भारत चीन के स्थान पर एक वैकल्पिक आपूर्तिकर्ता के रूप में विकसित हो सकता है।

 

क्या आपको लगता है कि ट्रम्प अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दरों में कमी की मांग करेंगे? इस पर विपुल ने कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प ने सार्वजनिक रूप से फेडरल रिजर्व की आलोचना की है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बार केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में कमी करने का आग्रह किया था। उन्होंने लगातार कहा है कि ब्याज दरों में कमी से उपभोक्ताओं और व्यवसायियों दोनों को लाभ होगा, जिससे अंततः आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। इस इतिहास को देखते हुए, यह अनुमान लगाना उचित है कि वह अपने आगामी कार्यकाल में फेड से दरों में और कटौती की वकालत करेंगे।

क्या आपको डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से भारतीय मुद्रा को कोई खतरा नजर आता है? इसके जबाव में विपुल ने कहा ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियों के चलते अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई है। जैसे-जैसे डॉलर और मजबूत होगा भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकल कर अमेरिका की तरफ जाती दिख सकती है। हाई टैरिफ अमेरिकी में महंगाई को बढ़ा सकते हैं, जिससे फेडरल रिजर्व को कार्रवाई करने के लिए मजबूर हो सकता है, जिसका भारत सहित वैश्विक मौद्रिक नीतियों पर भी असर पड़ सकता है। इसके चलते ग्लोबल बाजार में तरलता कम हो सकती है,जिससे भारत में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है और रुपये पर दबाव पड़ सकता है।

क्या आप बैंकिंग और NBFC सेक्टर को लेकर बुलिश हैं? इसके जवाब में विपुल ने कहा कि बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) दोनों सेक्टर ने वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में मिलेजुल नतीजे पेश किए हैं जिसका मुख्य कारण बढ़ती क्रेडिट कॉस्ट, नकदी की कमी और रेग्युलेटरी चुनौतियां रही हैं। हालाँकि इन सेक्टरों की कुछ कंपनियां अभी भी मजबूती दिखा सकती हैं,लेकिन ओवरऑल ट्रेंड इन सेक्टरों को लेकर सतर्क रहने का ही।

डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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