“निवेश के दौरान सबसे बड़ी गलती शेयर बाजार से बाहर रहना होती है।” मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन और कोफाउंडर रामदेव अग्रवाल ने शनिवार 9 नवंबर को ये बातें कहीं। अग्रवाल ने ट्रेडिंग राइट कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बताया कि उन्होंने साल 2003 से 2014 के बीच शेयर बाजार में निवेश नहीं किया। इसके चलते वे 2003 से 2008 के बीच शेयर बाजार में आई भारी तेजी का लाभ उठाने से चूक गए। उन्होंने कहा, “अगर मैंने उस अवधि के दौरान निवेश किया होता, तो मेरी कुल संपत्ति दोगुनी हो जाती।”
रामदेव अग्रवाल ने कहा, “जब आप चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ पाने से चूक जाते हैं, तो यह जीवन में वास्तव में काफी दुखदायी होता है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि शेयर बाजार लोगों को पैसे कमाने के लाखों मौके मुहैया कराता है, लेकिन भीड़ को फॉलो करने के बजाय अपना रास्ता खोजना जरूरी है। अग्रवाल ने कहा, “बाजार में सफल होने का हर किसी का अपना तरीका होता है। सिर्फ अपने पड़ोसियों की नकल मत करो।”
अग्रवाल ने कहा कि वॉरेन बफेट ने पिछले 65 सालों में 20 प्रतिशत CAGR की दर से रिटर्न दिया है। उन्होंने कहा, “हालांकि, मैं आगे चलकर 25 प्रतिशत CAGR रिटर्न देना चाहता हूं।” अग्रवाल ने कहा कि भारत की ग्रोथ स्टोरी काफी मजबूत है और यह कम से कम अगले कुछ सालों के लिए अतिरिक्त 5% सीएजीआर रिटर्न देती है।
इससे पहले अक्टूबर महीने की शुरुआत में शेयर बाजार के ऊंचे वैल्यूएशन के बारे में पूछे जाने पर रामदेव अग्रवाल ने कहा कि खासतौर से मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में बहुत ज्यादा अर्निंग ग्रोथ की उम्मीद के कारण शेयरों का भाव ऊंचाई पर बना हुआ है। उन्होंने कहा कि अगर ये उम्मीदें पूरी नहीं हुईं तो इनके मल्टीपल के नीचे आने का खतरा है।
रामदेव अग्रवाल ने कहा कि शेयर बाजार में रिटेल रकम का प्रवाह समय के साथ बढ़ेगा और म्युचुअल फंड इंडस्ट्री को इसका फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अकेले इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीमों का एसेट्स अंडर मैनेजमेंट अगले 6-7 सालों में 100 लाख करोड़ रुपये छू सकती है।