भारतीय इक्विटी बाजारों से विदेशी निवेशकों की सेलिंग बीते सप्ताह भी जारी रही। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले 5 कारोबारी सत्रों में अब तक लगभग 20,000 करोड़ रुपये निकाले। घरेलू शेयरों की अधिक वैल्यूएशन और चीन में अपना एलोकेशन शिफ्ट करने के कारण FPI ने बिकवाली की। ऐसे में FPI 2024 में अब तक इक्विटी बाजार में शुद्ध सेलर बन गए हैं, और उन्होंने कुल 13,401 करोड़ रुपये निकाले हैं।
आंकड़ों के अनुसार FPI ने नवंबर महीने में अब तक 19,994 करोड़ रुपये की शुद्ध बिकवाली की है। इससे पहले अक्टूबर में उन्होंने 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध सेलिंग की थी। यह FPI की अब तक की सबसे अधिक बिकवाली थी। इससे पहले सबसे ज्यादा सेलिंग मार्च 2020 में हुई थी, जो कि 61,973 करोड़ रुपये की थी। सितंबर 2024 में विदेशी निवेशकों ने 57,724 करोड़ रुपये का निवेश किया था।
आगे भी जारी रह सकती है बिकवाली
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज में चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार का कहना है कि आने वाले समय में FPI की बिकवाली जारी रहने का अनुमान है। अगर तीसरी तिमाही के नतीजे और प्रमुख इंडीकेटर आय में सुधार का संकेत देते हैं, तो यह सिनेरियो बदल सकता है और FPI बिकवाली कम कर सकते हैं।
टॉप 10 कंपनियों में से 6 का m-cap ₹1.55 लाख करोड़ घटा, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने झेला सबसे ज्यादा नुकसान
MojoPMS के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर सुनील दमानिया ने कहा कि अमेरिका में नव निर्वाचित राष्ट्रपति जनवरी 2025 में पदभार संभालेंगे। इसलिए भारतीय बाजार निकट अवधि में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों, कॉरपोरेट आय और खुदरा निवेशकों के रुख से प्रभावित होगा।
FPI के भारतीय इक्विटी से बाहर निकलने का एक प्रमुख कारण चीन के प्रति उनका नया आकर्षण है। उनका मानना है कि इस समय चीन की वैल्यूएशन आकर्षक है। चीन ने हाल ही में अपनी धीमी अर्थव्यवस्था को रिवाइव करने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कई उपाय किए हैं।
डेट मार्केट के लिए FPI का रुख
दूसरी ओर FPI ने नवंबर महीने में अब तक डेट जनरल लिमिट में 599 करोड़ रुपये और डेट वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) में 2,896 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस साल अब तक FPI ने डेट/बॉन्ड मार्केट में 1.06 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है।