ATM Cash Withdrawal Fraud: हम अक्सर बैंक में धोखाधड़ी की खबरे सुनते रहते हैं, आए दिन किसी ना किसी के साथ फ्रॉर्ड की घटना होती रहती है। अक्सर हमें बताया जाता है कि जब भी बैंक खाते में कोई धोखाधड़ी वाला लेनदेन देखते हैं तो सबसे पहले बैंक को इस बारे में जानकारी देनी चाहिए। ताकि वह इसके बारे में पता लगा सके। ऐसा ही एक मामला हरिद्वार में रहने वाले एक व्यक्ति के साथ हुआ। जब गाजियाबाद में धोखाधड़ी से उसके एटीएम के माध्यम से 75,000 रुपये निकाल लिए गए। फिर इस व्यक्ति ने भी तुरंत बैंक में जाकर इसकी सूचना दी।
लेकिन बैंक के कर्मचारियों ने इस समस्या को हल करने के बजाय कथित तौर पर यह मान लिया कि व्यक्ति ने खुद ही अपने बैंक खाते से पैसे निकाले हैं और अब इस लेनदेन को धोखाधड़ी साबित करने की कोशिश कर रहा है। जिसके बाद यह मामला उत्तराखंड उपभोक्ता आयोग में पहुंचा और पीएनबी को इस व्यक्ति को कुल 99,000 का मुआवजा देना पड़ा। आइए जानते हैं क्यों बैक को देना पड़ गया मुआवजा।
बैंक को दी थी धोखाधड़ी की जानकारी
व्यक्ति को जब पता चला की उसके अकाउंट से 75000 हजार रूपए निकाले गए वह तुंरत बैंक को इस धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दी। लेकिन बैंक को लगा की उसने खुद ही पैसे निकाले है और अब इसको धोखाधड़ी साबित करने की कोशिश कर रहा है। जिसके बाद बैंक के व्यवहार और उनकी जांच में कोई परिणाम न आने पर निराश हो कर व्यक्ति ने बैंकिंग लोकपाल के पास शिकायत दर्ज करवाई। उसके बाद, वे मामले को जिला उपभोक्ता फोरम में ले गए, जिसके कारण अंततः मामला उत्तराखंड उपभोक्ता आयोग में पहुंचा। इन सभी कानूनी कार्यवाही की इस श्रृंखला में एक दिलचस्प विवरण यह है कि बैंक ने लगातार इस बात पर जोर दिया कि एटीएम निकासी में धोखाधड़ी नहीं हुई थी।
क्या मिला जांच में
उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के 22 अक्टूबर, 2024 के आदेश के अनुसार, जांच के बाद ये बातें सामने आईं:
- हरिद्वार में रहने वाले शिकायतकर्ता के पंजाब नेशनल बैंक के बचत खाते में 77,214 रुपये थे, जिसमें से 75,000 रुपये 21 अगस्त, 2018 से 26 अगस्त, 2018 के बीच गाजियाबाद के एक ATM से निकाले गए थे।
- शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पीएनबी ने इन धोखाधड़ी वाले लेन-देन के बारे में उसको कोई एसएमएस अलर्ट नहीं भेजा था।
- जब शिकायतकर्ता को इन लेन-देन के बारे में पता चला, तो उसने पीएनबी के कस्टमर केयर को कॉल किया और हरिद्वार के रानीपुर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई।
- पीएनबी की अपनी जांच जिसको उपभोक्ता फोरम के साथ साझा किया उसके अनुसार, शिकायतकर्ता के कार्ड की क्लोनिंग नहीं की गई थी, इसलिए यह संभव नहीं है कि लेन-देन धोखाधड़ी वाले थे।
- राज्य पुलिस की जांच में पता चला कि ये लेन-देन कार्ड क्लोनिंग के कारण हुए थे।
- धोखाधड़ी वाले लेन-देन की रिपोर्ट किए जाने के तीन दिनों के भीतर पीएनबी कोई ठोस कार्रवाई करने में विफल रहा।
99,000 रुपये का भुगतान करना होगा पीएनबी को
उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग ने राज्य आयोग ने पीएनबी को ब्याज सहित मुआवजा देने का आदेश दिया। इस आदेश के अनुसार, पीएनबी को 6% की ब्याज दर से 75,000 रुपये का भुगतान करना होगा। बैंक के मुकदमे की लागत 5,000 रुपये का भी भुगतान करना है। वहीं पीएनबी को अब 99,000 रुपये का भुगतान करना होगा।