सेबी ने कहा है कि रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज को कामकाज से जुड़ा कोई कदम उठाने या किसी पॉलिसी का मतलब निकालने से पहले मार्केट रेगुलेटर से रिटेन एप्रूवल लेना होगा। सेबी ने यह भी कहा है कि अगर किसी इंटरमीडियरीज को किसी पॉलिसी के बारे में स्पष्टीकरण चाहिए तो वह सेबी से संपर्क कर सकता है। उसे सेबी से संपर्क करने के लिए इंफॉर्मल गाइडेंस स्कीम 2003 के तहत आने वाले सिस्टम का इस्तेमाल करना होगा। मार्केट रेगुलेटर ने इस बारे में 7 नवंबर को सर्कुलर जारी किया है।
सिर्फ मीटिंग के समेशन को सेबी का एप्रूवल नहीं माना जाना चाहिए
SEBI के अधिकारियों के साथ कामकाज से जुड़ी मीटिंग के बाद इंटरमीडियरीज मार्केट रेगुलेटर को मीटिंग का सारांश (Summation) भेजते हैं। सेबी का कहना है कि इसे उस मसले पर सेबी का एप्रूवल नहीं माना जाना चाहिए। अगर किसी मसले पर किसी इंटरमीडियरीज को स्पष्टीकरण की जरूरत है तो वह मार्केट रेगुलेटर से तय सिस्टम के जरिए संपर्क कर सकता है।
सेबी को स्पष्टीकरण के लिए इंटरमीडियरीज से कम्युनिकेशन मिलते रहते हैं
सेबी के सर्कुलर में कहा गया है कि मार्केट रेगुलेटर के साथ हुई किसी मीटिंग के नतीजों का मतलब इंटरमीडियरीज को खुद नहीं निकालना चाहिए। समय-समय पर सेबी के डिपार्टमेंट्स को रजिस्टर्ड इंटरमीडियरीज/रेगुलेटेड एंटिटीज के लेटर मिलते हैं। इसमें कामकाज से जुड़े किसी उपाय या पॉलिसी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा जाता है। आम तौर पर यह कम्युनिकेशन सिक्योरिटीज मार्केट से जुड़े मसलों के बारे में होता है।
इंटरमीडियरीज तय प्रक्रिया के जरिए संपर्क कर सकते हैं
मार्केट रेगुलेटर ने कहा है कि कई बार इंडरमीडियरीज की तरफ से कम्युनिकेशन में सेबी के अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग का सारांश होता है या वह किसी मसले पर इंटरमीडियरीज की अपनी समझ होती है। इस तरह के कम्युनिकेशन को सेबी का एप्रूवल नहीं माना जाना चाहिए। इंटरमीडियरीज को कहा गया है कि किसी उपाय को लागू करने से पहले उन्हें सेबी की लिखित स्वीकृति (Written Approval) लेनी होगी। सेबी ने कहा है कि इंटरमीडियरीज जरूरत पड़ने पर इंफॉर्मल गाइडेंस स्कीम 2003 के तहत उससे संपर्क कर सकते हैं।