अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने 7 नवंबर को इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी करने का ऐलान किया। इससे इंटरेस्ट रेट 4.5-4.75 फीसदी पर आ गया है। फेडरल रिजर्व ने इंटरेस्ट रेट में कमी का यह फैसला अमेरिकी में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आने के बाद किया है। डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव जीत गए हैं। उनका कार्यकाल 2025 से 2028 तक होगा। माना जा रहा है कि इस दौरान अमेरिका की पॉलिसी में बड़ा बदलाव आ सकता है।
बेहतर हो रही अमेरिकी मार्केट की सेहत
फेडरल रिजर्व ने अमेरिकी इकोनॉमी से जुड़े हालिया डेटा को देखने के बाद इंटरेस्ट रेट घटाने का फैसला किया है। अमेरिकी इकोनॉमी की सेहत बेहतर हो रही है। इनफ्लेशन घट रहा है। हालांकि, यह अब भी फेडरल रिजर्व के टारगेट से ज्यादा है। इंटरेस्ट रेट में कमी के फैसले के बाद 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड घटकर 4.33 फीसदी पर आ गई। ट्रंप के चुनाव जीतने की खबर से यह बढ़कर 4.5 फीसदी पर चली गई थी। डॉलर इंडेक्स में भी गिरावट आई। Russell 2000 इंडेक्स 6 नवंबर को 6 फीसदी की जबर्दस्त तेजी के बाद थोड़ा गिरा।
जीडीपी ग्रोथ में नहीं आई है गिरावट
तीसरी तिमाही में अमेरिकी इकोनॉमी की ग्रोथ 2.8 फीसदी रही। यह दूसरी तिमाही की ग्रोथ जितनी है। इससे पता चलता है कि अमेरिका में इकोनॉमी की ग्रोथ में गिरावट नहीं आई है। उधर, उपभोक्ता खर्च भी स्थिर बना हुआ है। लेकिन, इसके साथ लेबर मार्केट ठंडा पड़ रहा है। नई नौकरियों संख्या में कमी आई है। नॉन-फॉर्म पेरोल के डेटा में पिछले दो महीने में उतारचढ़ाव देखने को मिला है। इसका मतलब है कि लेबर मार्केट को लेकर फेडरल रिजर्व का मकसद पूरा हो गया है।
नई सरकार की पॉलिसी में बदलाव का असर पड़ेगा
अमेरिका में नए राष्ट्रपति के बागडोर संभालने से जियोपॉलिटिकल स्थिति में बदलाव आने की उम्मीद है। ट्रंप की पॉलिसी कॉर्पोरेट टैक्स में कमी करने की रही है। इसका फायदा चुनावों में रिरपब्लिकन पार्टी को मिला है। उम्मीद है कि दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले अमेरिका में कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ ज्यादा रहेगी। इसका असर अमेरिकी स्टॉक मार्केट्स पर पड़ेगा। अमेरिकी बाजारों का प्रदर्शन दुनिया के दूसरे बाजारों के मुकाबले बेहतर हो सकता है।
इंडियन मार्केट में कुछ सेक्टर में निवेश बढ़ा सकते हैं विदेशी निवेशक
अगर इंडिया के नजरिए से देखें तो अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में बड़ी बिकवाली की है। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों की 94,000 करोड़ रुपये की बिकवाली में करीब तीन-चौथाई बिकवाली फाइनेंशियल सर्विसेज, ऑटो, एफएमसीजी और कंज्यूमर सर्विसेज सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में हुई है। दूसरी तरफ हेल्थकेयर, यूनिटिलिटीज और केमकिल कंपनियों के शेयरों में विदेशी निवेशकों का निवेश थोड़ा बढ़ा है। इससे यह संकेत मिलता है कि विदेशी निवेशक आगे उन सेक्टर की कंपनियों में निवेश शुरू कर सकते हैं, जिनकी ग्रोथ की संभावना अच्छी दिख रही है। खासकर तब वैल्यूएशन सही लेवल पर आ जाती है।