नई दिल्ली: अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने गुरुवार को ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कमी की है। यह 2024 में दूसरी बार है जब ब्याज दरों में कमी आई है। फेड का मानना है कि महंगाई अब नियंत्रण में आ रही है। यह फैसला ऐसे समय में आया जब अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति चुने हुए 48 घंटे भी नहीं हुए थे। अमेरिकी फेड के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखे हुए है। दिसंबर में होने वाली अपनी अगली बैठक में फेड यह तय करेगा कि 2024 में ब्याज दरों में आखिरी कटौती की जाए या नहीं। पॉवेल ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर ट्रंप ने उनसे इस्तीफा देने को कहा तो वह ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कानूनन व्हाइट हाउस उन्हें हटा नहीं सकता। अमेरिका में ब्याज दरों में कमी का भारत पर क्या असर पड़ेगा? आइए, यहां समझते हैं।ब्याज दरों में कटौती से अमेरिका और दूसरे देशों की ब्याज दरों के बीच का अंतर बढ़ सकता है। इससे भारत जैसे देश करेंसी कैरी ट्रेड के लिहाज से ज्यादा आकर्षक हो सकते हैं। अमेरिका की ब्याज दर जितनी कम होगी, मध्यस्थता का अवसर उतना ही ज्यादा होगा। यह तब तक होता रहेगा जब तक कि दूसरे देशों में भी ब्याज दरों में कटौती का दौर शुरू न हो जाए।
अमेरिका की ग्रोथ को रफ्तार देगा कदम
फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती का संकेत अमेरिका में विकास को गति देने वाला होगा। यह वैश्विक विकास के लिए अच्छी खबर हो सकती है, खासकर ऐसे समय में जब चीन रियल एस्टेट संकट से जूझ रहा है। उसकी ग्रोथ में कमी के संकेत दिख रहे हैं। अमेरिकी डेट बाजारों में कम रिटर्न से उभरते बाजारों के शेयरों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। इससे विदेशी निवेशकों का उत्साह बढ़ने के आसार हैं।
करेंसी मार्केट पर भी देखने को मिलेगा असर
फंडो के फ्लो के कारण करेंसी बाजारों पर भी इसका असर पड़ सकता है। RBI ने आखिरी बार मई 2020 में रेपो रेट में 40 आधार अंकों की कटौती कर इसे 4% कर दिया था। तब कोरोना महामारी के कारण मांग में कमी आई थी। उत्पादन में कटौती और नौकरियों का नुकसान हुआ था।
RBI ने तब से बेकाबू महंगाई से निपटने के लिए रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी कर इसे 6.5% कर दिया है। केंद्रीय बैंक को महंगाई दर को 4% पर रखने का लक्ष्य मिला हुआ है। इसके लिए उसे 2% ऊपर या नीचे जाने की छूट है। RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की अगली बैठक 4-6 दिसंबर को होनी है।
बैंक ऑफ जापान पर भी नजर
भारतीय बाजारों को प्रभावित करने वाला दूसरा प्रमुख बाहरी कारण बैंक ऑफ जापान (BoJ) की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी की उम्मीदें हैं। यह येन कैरी-ट्रेड समीकरण को प्रभावित कर सकता है। इस साल अगस्त में, जब BoJ ने दरों को 0.1% से बढ़ाकर 0.25% कर दिया था, तो इसके चलते येन कैरी ट्रेड पोजीशन का निपटान हुआ। इससे सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई।
बैंक ऑफ जापान की ओर से अपनी दिसंबर (18-19) की बैठक में दरों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। कारण है कि इसमें अमेरिका में नए प्रशासन को लेकर अनिश्चितताओं पर विचार किया जाना है। येन में गिरावट, जैसा कि अभी हो रहा है, BoJ को दरों में बढ़ोतरी के लिए प्रेरित कर सकती है।
आज कैसी रही बाजार की चाल?
विदेशी फंडों की निकासी जारी रहने से शुक्रवार को घरेलू शेयर बाजार लगातार दूसरे दिन गिरावट के साथ बंद हुए। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 55.47 अंक यानी 0.07 फीसदी की गिरावट के साथ 79,486.32 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 424.42 अंक फिसलकर 79,117.37 अंक पर आ गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 51.15 अंक यानी 0.21 फीसदी लुढ़ककर 24,148.20 अंक पर बंद हुआ।