अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनावों में डॉनल्ड ट्रंप की जीत से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में आज जोरदार तेजी देखी गई। जोखिम वाली परिसंपत्तियों में भी तेजी देखी गई और शुरुआती कारोबार में बिटकॉइन करीब 8 फीसदी चढ़कर 75,000 डॉलर को पार कर गया। निवेशकों ने इस उम्मीद में दांव लगाया है कि ट्रंप की कारोबार-अनुकूल नीतियों से वैश्विक अर्थव्यवस्था को लाभ होगा और इसका फायदा इक्विटी बाजारों को भी मिलेगा।
सेंसेक्स में 6 हफ्ते की सबसे बड़ा उछाल आया और यह 902 अंक चढ़कर 80,378 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 271 अंक की बढ़त के साथ 24,484 पर बंद हुआ। 20 सितंबर के बाद सूचकांकों की यह सबसे बड़ी तेजी है। अमेरिका में दर कटौती की आस और वहां की कंपनियों द्वारा आईटी पर खर्च बढ़ाए जाने की उम्मीद से आईटी कंपनियों के शेयर भी खूब उछले।
हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपया 84.28 के नए निचले स्तर पर आ गया। 20 जून के बाद रूपये में एक दिन में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। मंगलवार को रूपया 84.11 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था। अन्य एशियाई मुद्राओं में भी नरमी देखी गई। ट्रंप के सत्ता में आने से चीन के साथ अमेरिका के व्यापार में तनाव बढ़ने की आशंका से हैंगसैंग और शांघाई कंपोजिट नुकसान में रहे।
विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका में शेयर, ट्रेजरी यील्ड और डॉलर में तेजी को देखते हुए दुनिया भर के बाजारों ने जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। विशेषज्ञों के अनुसार ट्रंप कर में कटौती करेंगे और मौद्रिक नीति में भी ढील दे सकते हैं जिसका असर मुद्रास्फीति पर पड़ सकता है। अमेरिका का 10 वर्षीय ट्रेजरी यील्ड 16 आधार अंक चढ़कर 4.44 पर पहुंच गया।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रैटजीज के सीईओ एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘वैश्विक बाजार दर में जल्द कटौती और कंपनियों की आय पर इसका सकारात्मक प्रभाव को लेकर खुश है। व्यापार शुल्क पर नीति और इसका असर के लिए अभी इंतजार करना होगा।’
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा कि अगर ट्रंप चीन की वस्तुओं पर शुल्क बढ़ाते हैं तो चीन प्लस 1 नीति के तहत भारत को फायदा होगा। कई कंपनियां भारत में उत्पादन के लिए आ सकती हैं।
सेंसेक्स की बढ़त में ज्यादातर योगदान इन्फोसिस, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज और रिलायंस इंडस्ट्रीज का रहा। निफ्टी आईटी सूचकांक 4 फीसदी बढ़त पर बंद हुआ। बाजार में उठापटक मापने वाला सूचकांक इंडिया वीआईएक्स 8 फीसदी गिरकर 14.9 फीसदी रह गया। विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिका चुनाव के नतीजों से गिरावट की मार झेल रहे देसी शेयर बाजार को थोड़े समय के लिए संजीवनी मिली है मगर लंबी अवधि में इसकी चाल कंपनियों की आय वृद्धि पर निर्भर करेगी।
तिमाही नतीजे कमजोर रहने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली से सूचकांक अपने उच्चतम स्तर से 7 फीसदी से अधिक नीचे आ चुके हैं। विदेशी निवेशकों ने 4,446 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की बिकवाली की।