डोनाल्ड ट्रंप की जीत की खबर से 6 नवंबर को आईटी कंपनियों के शेयरों में जबर्दस्त तेजी आई थी। लेकिन, यह तेजी टिक नहीं पाई। 7 नवंबर को बाजार खुलने पर आईटी शेयरों पर बिकवाली का दबाव देखने को मिला। 10:20 बजे निफ्टी आईटी इंडेक्स 1.29 फीसदी यानी 540 प्वाइंट्स तक लुढ़क गया था। हालांकि, ट्रंप की पॉलिसी बिजनेस को बढ़ावा देने वाली रही है। अपने पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने इंडिया के साथ कारोबारी रिश्ते बढ़ाने पर जोर दिया था। ट्रंप के पिछले कार्यकाल को देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि डिफेंस और टेक्नोलॉजी के मामले में इंडिया के लिए नए मौके सामने आ सकते हैं। साथ ही फार्मा और आईटी सर्विसेज के एक्सपोर्ट में भी उछाल आ सकता है।
ट्रंप (Donald Trump) निर्यात सहित कई क्षेत्रों में चीन की बादशाहत के खिलाफ रहे हैं। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की पॉलिसी से इंडिया सहित कुछ उभरते देशों को मुश्किल भी पैदा हो सकती है। वीटी मार्केट्स में ग्लोबल स्ट्रेटेजी ऑपरेशंस लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा कि ट्रंप की संरक्षणवादी नीतियां दोधारी तलवार साबित हो सकती है। अगर डॉलर में मजबूती जारी रहती है तो इंडिया सहित उभरते बाजारों को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
इमिग्रेशन भी एक बड़ा मसला है। ट्रंप का जोर वीजा खासकर एच-1बी वीजा के लिए सख्त नियमों पर रहा है। इससे इंडिया के टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए अनिश्चितता पैदा हो सकती है। फिलहाल आईटी सेक्टर अमेरिका में आने वाली नई सरकार को उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है। लेकिन, अभी यह कहना मुश्किल है कि ऊंट किस करवट बैठेगा। इंडियन आईटी कंपनियों के लिए आगे बेहतर मौके भी मिल सकते हैं। इसका पता बाद में चलेगा।
बर्जर पेंट्स के शेयर 6 नवंबर को 2.26 फीसदी चढ़कर 525 रुपये पर बंद हुए। हालांकि, Berger Paints की दूसरी तिमाही में अर्निंग्स अनुमान से कम रही। भारी बारिश और कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात इसकी वजह है। बुल्स का कहना है कि ग्रामीण और छोटे शहरों में पेंट की मांग बढ़ रही है। कंस्ट्रक्शन गतिविधियां भी बढ़ रही हैं। इसका फायदा कंपनी को मिलेगा। कंपनी का फोकस प्रीमियम प्रोडक्ट्स, ब्रांड इक्विटी और डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क बढ़ाने पर रहा है। इससे कंपनी को मार्केट में लीडरशिप पोजीशन बनाए रखने में मदद मिलेगी। बेयर्स का कहना है कि इकोनॉमी में सुस्ती के संकेत दिख रहे है। क्रूड ऑयल की कीमतों में उछाल आया है। इसका असर बर्जर पेंट्स के मार्जिन पर पड़ सकता है। उधर, इकोनॉमी में सुस्ती का असर भी पेंट्स की डिमांड पर पड़ेगा।
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टाइटन के शेयरों में 6 नवंबर को 1.5 फीसदी मजबूती आई। कंपनी की सितंबर तिमाही में अर्निंग्स अनुमान से कम रही है। कंपनी के दूसरी तिमाही के प्रदर्शन में जुलाई में कस्टम ड्यूटी में कमी का हाथ रहा। कंपनी ने फेस्टिव सीजन में प्रदर्शन अच्छा रहने की उम्मीद जताई है। सब-सेगमेंट्स में भी अच्छी ग्रोथ देखने को मिल सकती है। उधर, बेयर्स का कहना है कि इकोनॉमी में सुस्ती बढ़ती है तो इसका असर डिस्क्रेशनरी डिमांड पर पड़ेगा। उधर, घड़ियों और चश्में की बिक्री पर दबाव का असर कंपनी के मार्जिन पर दिख सकता है।