डॉलर के मुकाबले रुपये में 6 नवंबर को शुरुआती कारोबार में बड़ी गिरावट देखने को मिली। यह 14 पैसे गिरकर 84.23 के लेवल पर आ गया। रुपये में कमजोरी की दो बड़ी वजहें बताई जा रही हैं। पहला, इंडियन स्टॉक मार्केट्स में विदेशी निवेशकों की बिकवाली का रुपये पर असर पड़ा है। अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने इंडियन मार्केट में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है। इससे रुपये पर दबाव बढ़ा है। उधर, दुनिया की प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है। इससे भी रुपये पर दबाव बना है।
फेडरल रिजर्व के फैसले का असर डॉलर पर पड़ेगा
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों को लेकर तस्वीर साफ हो रही है। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति बनना तय दिख रहा है। इस बीच, अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक शुरू हो चुकी है। इसके नतीजे 7 नवंबर को आएंगे। इसका असर भी डॉलर पर पड़ेगा। अनुमान है कि फेडरल रिजर्व इंटरेस्ट रेट में 25 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर सकता है। सितंबर में उसने इंटरेस्ट रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्क की कमी की थी।
5 नवंबर को 2 पैसे कमजोर बंद हुआ था रुपया
6 नवंबर को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 84.23 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला। यह 5 नवंबर के क्लोजिंग रेट के मुकाबले 14 पैसे की कमजोरी है। 5 नवंबर को रुपये 2 पैसे कमजोरी के साथ बंद हुआ था। उधर, दुनिया की प्रमुख 6 करेंसी के मुकाबले डॉलर की कीमत बताने वाला डॉलर इंडेक्स 1.64 फीसदी की मजबूती के साथ 105.11 पर था। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों में ट्रंप की बढ़त से डॉलर इंडेक्स चढ़ा है।
रुपये पर बढ़ सकता है दबाव
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर डॉलर मजबूत होगा। इसका असर रुपये पर पड़ेगा। विदेशी निवेशकों की बिकवाली अब भी जारी है। अगर स्टॉक मार्केट में उनकी बिकवाली रुकती नहीं है तो रुपये पर दबाव बढ़ जाएगा। काफी समय बाद रुपये ने 84 का स्तर तोड़ा है। रुपये में कमजोरी का व्यापक असर इंडियन इकोनॉमी पर पड़ेगा।