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डोनाल्‍ड ट्रंप या कमला हैरिस… दोनों में से किसका जीतना भारत के लिए फायदेमंद? बाजार के गण‍ित से समझ‍िए

नई दिल्‍ली: अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। बाजार के जानकार मान रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप जीत सकते हैं। चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी का दबदबा रहेगा। हालांकि, अभी चुनाव के नतीजे आना बाकी हैं। विश्लेषकों का कहना है कि कमला हैरिस की जीत से आर्थिक स्थिति में ज्‍यादा बदलाव नहीं आएगा। बाजार पर भी ज्‍यादा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन, ट्रंप जीतते हैं तो उभरते बाजारों, शेयरों और करेंसी पर इसका बड़ा असर हो सकता है। कारण है कि उनकी नीतियां ग्‍लोबलाइजेशन को कम करने वाली होती हैं।आईसीआईसीआई बैंक में इकनॉ‍मिक रिसर्च के हेड समीर नारंग ने कहा, ‘अगर ट्रंप राष्ट्रपति बनते हैं तो इसका मतलब है कि ब्याज दरें, सोने की कीमतें और वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर हमारे अनुमान से ज्‍यादा मजबूत हो सकते हैं। कच्चे तेल की कीमतें कम हो सकती हैं। हैरिस की जीत का मतलब है कि बाजार हमारे अनुमान के हिसाब से ही चलेगा। ब्याज दरें कम हो सकती हैं और अमेरिकी डॉलर स्थिर रह सकता है।’

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं में भारत को ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से फायदा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू खपत पर निर्भर करती है। इसके अलावा वस्तुओं की कम कीमतों, सप्‍लाई चेन में बदलाव और विदेशी संबंधों से भी भारत को फायदा होने के आसार हैं।

ट्रंप की जीत का भारत पर संभावित असर?

ट्रंप प्रशासन की सख्त व्यापार नीतियों से अमेरिका की अर्थव्यवस्था मजबूत हो सकती है। इससे ग्‍लोबल बाजारों की तुलना में वॉल स्ट्रीट का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है। ऐसी स्थिति में यील्‍ड बढ़ने की उम्‍मीद है। खासकर लंबी अवधि की प्रतिभूतियों में। ऐसा इसलिए क्योंकि निवेशकों को उम्मीद होगी कि सप्‍लाई बढ़ेगी।

आईसीआईसीआई बैंक के विश्लेषकों का अनुमान है कि अमेरिकी डॉलर मजबूत होगा। ब्रेंट क्रूड की कीमतें घटेंगी। वैश्विक आधार धातु की कीमतें कम होंगी। इससे चीन के विकास पर असर पड़ेगा। सोने की कीमतें बढ़ेंगी क्योंकि सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ेगी।

आईसीआईसीआई बैंक का अनुमान है कि ट्रंप की जीत के साथ 10 साल के अमेरिकी बॉन्‍डों की यील्ड 4.40%-4.50% तक पहुंच सकती है। वहीं, डॉलर इंडेक्स 105-106 तक बढ़ सकता है। दिसंबर 2024 तक संभावित रूप से यह 106.50 तक पहुंच सकता है।

नोमुरा के विश्लेषण से पता चलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से घरेलू मांग पर निर्भर करती है। लिहाजा, अमेरिका के धीमे विकास का उस पर सीमित नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

नोमुरा की सोनल वर्मा के अनुसार, भारत को वास्तव में वस्तुओं की कम कीमतों से फायदा हो सकता है। चीन की ग्रोथ में कमी और तेल की कम कीमतों के कारण ऐसा होगा। जीवाश्म ईंधन के उत्पादन में बढ़ोतरी से तेल की कीमतें प्रभावित होंगी।

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से बीपीसीएल, आईओसीएल और एचपीसीएल सहित भारतीय तेल मार्केटिंग कंपनियों को फायदा होगा। वहीं, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गेल पर संभावित रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

हैरिस की जीत का भारत पर संभावित असर?

अगर हैरिस चुनाव जीतती हैं तो वैश्विक और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मौजूदा संरचना बनी रहने की संभावना है। इस उम्मीद से कि अमेरिका और अन्य देशों के बीच धीरे-धीरे आर्थिक सामंजस्य स्थापित होगा। मध्यावधि बाजार की गतिशीलता प्रभावित होगी।

आईसीआईसीआई बैंक का संकेत है कि शेयर बाजार, ऊर्जा, सोना, बेस मेटल और अमेरिकी डॉलर सहित विभिन्न वित्तीय बाजार स्थिर रहेंगे और उनमें कोई बड़ा उतार-चढ़ाव नहीं होगा।

डेमोक्रेटिक नेतृत्व में अमेरिका को होने वाले भारत के निर्यात को फायदा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइडेन प्रशासन के दौरान व्यापारिक रिश्ते अच्छे रहे हैं। फिलिप कैपिटल के अनुसार, कुशल आव्रजन नीतियों के लिए हैरिस के अनुमानित समर्थन से भारत के आईटी क्षेत्र को फायदा होगा।

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मंदी से संबंधित गिरावट को छोड़कर डॉव जोन्स बुश के नेतृत्व में 28%, ओबामा के राष्ट्रपति पद के दौरान 78% और ट्रंप के नेतृत्व में 54% बढ़ा। जबकि जो बाइडेन के वर्तमान कार्यकाल में 41% की बढ़ोतरी देखी गई है।

अमेरिका में अलग-अलग राष्ट्रपतियों के कार्यकाल के दौरान भारतीय बाजारों में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई। बुश के कार्यकाल में इसने 200%, ओबामा के राष्ट्रपति पद के दौरान 55%, ट्रंप के कार्यकाल में 63% और बाइडेन प्रशासन में अब तक 89% की ग्रोथ हासिल की है।

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