Noida Property: नोएडा में घर खरीदना और महंगा हो सकता है। दरअसल, नोएडा में जल्द सर्कल रेट बढ़ने वाला है। सर्कल रेट बढ़ने पर होमबायर्स के नोएडा में घर खरीदने की कॉस्ट बढ़ जाएगी। उत्तर प्रदेश के नोएडा एरिया में सरकार ने सर्कल रेट्स में बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया है। यह प्रस्ताव रेजिडेंशियल एरिया में 25-30% और अन्य एरिया में 10-15% तक सर्कल रेट बढ़ाने का सुझाव देता है। सर्कल रेट्स वह न्यूनतम प्राइस होता है जो किसी प्रॉपर्टी की सेल-परचेज और रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टाम्प ड्यूटी और अन्य चार्ज की कैलकुलेशन के लिए तय किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि नोएडा के सर्कल रेट 30% की बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसा होने पर नोएडा में प्रॉपर्टी खरीदना की लागत लगभग 3% तक बढ़ सकती है।
सर्कल रेट्स क्यों बढ़ाए जा रहे हैं?
स्टाम्प और रजिस्ट्रेशन विभाग ने जिला मजिस्ट्रेट को सर्कल रेट्स रिवाइज करने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने कहा कि 2019 के बाद से सर्कल रेट्स में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि नोएडा और ग्रेटर नोएडा में फ्लैट्स की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि फ्लैट्स की बढ़ती कीमतों के मुकाबले स्टाम्प ड्यूटी कलेक्शन कम हो रहा है, जो सर्कल रेट पर निर्भर करता है। इसे बैलेंस करने के लिए सर्कल रेट्स में रिवीजन जरूरी हो गया है।
सर्कल रेट क्या है?
सर्कल रेट वह न्यूनतम प्राइस होता है जिस पर रियल एस्टेट प्रॉपर्टी बेची जा सकती है। इसे आम तौर पर प्रॉपर्टी के प्राइस की सही वैल्युशनके रूप में भी जाना जाता है। इसके अनुसार डेवलपर्स अपने प्रॉपर्टी की कीमतें तय करते हैं। सरकार प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन से ट्रांजेक्शन चार्ज, टैक्स, और स्टाम्प ड्यूटी की कैलकुलेशन में सर्कल रेट का इस्तेमाल करते हैं।
सर्कल रेट्स बढ़ने का असर
सर्कल रेट्स में बढ़ोतरी से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घर खरीदने की लागत बढ़ सकती है, क्योंकि इससे स्टाम्प ड्यूटी और अन्य चार्ज में भी बढ़ोतरी होगी। बढ़ी हुई कीमतों का सीधा असर घर खरीदने वालों के बजट पर पड़ सकता है।
कौन-कौन से चार्ज सर्कल रेट्स पर निर्भर करते हैं?
स्टाम्प ड्यूटी: यह प्रॉपर्टी के ट्रांसफर पर लगने वाला एक टैक्स है, जो सर्कल रेट पर आधारित होता है।
रजिस्ट्रेशन फीस: यह फीस प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन के दौरान लगती है और यह प्रॉपर्टी के सर्कल रेट का एक तय प्रतिशत होता है।
ट्रांसफर फीस: प्रॉपर्टी की ओनरशिप ट्रांसफर के लिए लगने वाली फीस है, जो केवल रीसेल प्रॉपर्टी पर लागू होती है और सर्कल रेट के आधार पर तय होती है।