महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सियासी पारा चढ़ रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने शिवसेना के विभाजन के लिए ठाकरे को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने यहां तक कहा कि ठाकरे ने निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया। गौरतलब है कि स्थापना के 56 साल बाद साल 2022 में शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई। आज शिवसेना (यूबीटी) की कमान उद्धव ठाकरे के पास है। शिवसेना (शिंदे) की बागडोर एकनाथ शिंदे के हाथ में है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि महा विकास आघाड़ी की सरकार बालासाहेब ठाकरे की विचारधारा से भटक गई थी। इसके बाद शिवसेना (शिंदे) ने BJP से हाथ मिलाया, जो सही रास्ता था। उन्होंने यहां तक कहा कि उद्धव ठाकरे के बालासाहेब के आदर्शों से भटकने के बाद उन्होंने पार्टी के मूल्यों को बचाने के लिए BJP से समझौता किया। उद्धव ठाकरे ने तो अपने निजी स्वार्थ के लिए कांग्रेस से समझौता किया था।
शिंदे ने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा, “मैं महाविकास आघाड़ी (MVA) सरकार का हिस्सा था। लेकिन, जिस सरकार का गठन हुआ था, वह बालासाहेब के आदर्शों के खिलाफ थी। ऐसे में शिवसेना और बीजेपी का समझौता सही दिशा में उठाया गया कदम था। उद्धव ठाकरे ने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कांग्रेस से हाथ मिलाया, जो बालासाहेब कभी नहीं चाहते थे।” अपनी सरकार (महायुती) की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार ने आमलोगों के हितों को व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर रखा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विकास से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स पर फिर से काम शुरू किया, जिन पर एमवीए का कार्यकाल में काम रुक गया था। इनमें मेट्रो, बुलेट ट्रेन और हाईवेज से जुड़े प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। इससे निवेश के लिहाज से महाराष्ट्र का अट्रैक्शन बढ़ा है। शिंदे ने कहा कि वह गर्व से कह सकते हैं कि हम 5 लाख करोड़ रुपये का इनवेस्टमेंट राज्य में लाने में सफल रहे हैं। पिछले ढाई साल में प्रोजेक्ट्स का करीब 72-78 फीसदी हिस्सा पूरा हो चुका है। एमवीए के कार्यकाल में महाराष्ट्र तीसरे पायदान पर था। लेकिन, हमारे आने के बाद यह जीडीपी, एफडीआई, जीएसटी और स्वच्छता में पहले पायदान पर आ गया है।
महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं। सभी सीटों पर एक चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी। इसके नतीजे 23 नवंबर को आएंगे। एमवीए का सीधा मुकाबला महायुती की सरकार से है। कांग्रेस, एनसीपी (पवार) और शिवसेना (यूबीटी) एमवीए के हिस्सा हैं। महायुती में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजीत) शामिल हैं।