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हाई वैल्यू लिस्टेड डेट एंटिटीज ढांचे में बदलाव पर विचार कर रहा सेबी

इस समय 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की गैर-परिवर्तनीय सूचीबद्ध ऋण (एनसीडी) प्रतिभूतियों वाली कंपनियों को एचवीडीएलई के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। ऐसी इकाइयों को बोर्ड के ढांचे, बोर्ड बैठकों की तय संख्या, अनुपालन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना, जोखिम प्रबंधन योजना को लागू करना, विशेषज्ञ समितियों का गठन और संबंधित पक्ष के लेनदेन (आरपीटी) के बारे में सख्त नियमों से जुड़ी कंपनी संचालन संहिता का पालन करना होता है।

सेबी ने अब यह सीमा बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये किए जाने का प्रस्ताव रखा है। इस कदम से 166 से अ​धिक कंपनियों को फायदा होगा जो इस समय एचवीएलडीई के तौर पर चिह्नित हैं। लेकिन उनके पास 500 करोड़ रुपये से कम के सूचीबद्ध एनसीडी हैं।

नियामक ने उन इकाइयों के लिए नियमों में विशेष छूट का प्रस्ताव किया है जिनके पास केवल सूचीबद्ध डेट है लेकिन कोई सूचीबद्ध इक्विटी नहीं है। 812 सूचीबद्ध डेट प्रतिभूतियों में से सिर्फ 264 के पास इ​​क्विटी और डेट दोनों हैं और 538 शुद्ध रूप से डेट इकाइयां हैं।

सेबी का कहना है कि कॉरपोरेट प्रशासन के मानदंडों को इक्विटी के नजरिए से देखा गया है और यह डेट सूचीबद्ध इकाइयों के नजरिए से पूरी तरह प्रासंगिक नहीं हो सकता है। इसलिए, केवल ऋण संस्थाओं के लिए नियमन में विशेष बदलाव प्रस्तावित किया गया है।

सेबी द्वारा प्रस्तावित अन्य मुख्य बदलाव है कॉरपोरेट प्रशासनिक मानकों के इस्तेमाल के लिए सनसेट क्लॉज। इस समय एचवीडीएलई के लिए ऐसे प्रावधानों का अनुपालन जारी रखने के लिए कोई अवधि निर्धारित नहीं है। इसकी वजह से इकाइयों को हमेशा अनुपालन करना पड़ता है, भले ही वे एचवीडीएलई न रह गई हों।

नियामक ने उन एचवीडीएलई के लिए भी छूट का प्रस्ताव किया है जो कंपनी अधिनियम के अनुसार कंपनियां नहीं हैं। इससे नाबार्ड, सिडबी, एनएचबी, एक्जिम बैंक जैसे सरकारी निकायों को (जो संसद से पारित विशिष्ट अधिनियमों से नियंत्रित होते हैं और कंपनी अधिनियम के तहत संचालित नहीं होते हैं) सख्त प्रशासन संहिता का पालन नहीं करना पड़ेगा।

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