वित्त वर्ष 2025 के पहले 6 महीनों में फिस्कल डेफिसिट सालाना टारगेट का 29.4 पर्सेंट रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि के आंकड़े के मुकाबले काफी कम है। इस सिलसिले में 30 अक्टूबर को जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की इसी अवधि में फिस्कल डेफिसिट का यह आंकड़ा 39.3 पर्सेंट था। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में पूंजीगत खर्च कम रहा और यह आंकड़ा पूरे साल के टारगेट 11.1 लाख करोड़ रुपये का सिर्फ 37.3 पर्सेंट है।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार का फिस्कल डेफिसिट रेशियो बजट 2024-25 में तय 4.9 पर्सेंट के टारगेट से काफी कम रह सकता है। दरअसल, रिजर्व बैंक से सरकार को अनुमान से ज्यादा डिविडेंड मिला है और इसका पॉजिटिव असर फिस्कल डेफिसिट पर भी देखने को मिल सकता है। संबंधित अवधि में सरकार का कुल खर्च भी सीमित दायरे में है और यह वित्त वर्ष 2025 के कुल टारगेट का 43.8 पर्सेंट रहा, जबकि पिछले साल की इसी अवधि यानी अप्रैल-सितंबर 2023 में यह आंकड़ा 47.1 पर्सेंट था।
चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में केंद्र सरकार का फिस्कल डेफिसिट पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 17.2 पर्सेंट रहा था। अगस्त में महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, कुल मिलाकर फिस्कल डेफिसिट जुलाई के अंत तक 2,76,945 करोड़ रुपये था। पिछले वित्त वर्ष (2023-24) की इसी अवधि में घाटा बजट अनुमान (बीई) का 33.9 पर्सेंट था। केंद्रीय बजट में सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में फिस्कल डेफिसिट को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 पर्सेंट पर लाने का लक्ष्य रखा है।
वित्त वर्ष 2023-24 में फिस्कल डेफिसिट जीडीपी का 5.6 पर्सेंट था। कुल मिलाकर, सरकार का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष के दौरान फिस्कल डेफिसिट को 16,13,312 करोड़ रुपये तक सीमित रखना है।