ब्रोकरेज फर्म SMC ग्लोबल सिक्योरिटीज लिमिटेड के सीईओ और डायरेक्टर अजय गर्ग ने नए हिंदू साल संवत 2081 में शेयर बाजार की चाल और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में मनीकंट्रोल से बात की है। अगले साल शेयर बाजार से जुड़े अहम जोखिमों के बारे में उनका कहना था कि संवत 2080 में शेयर बाजार की अनिश्चितता साफ तौर पर नजर आई और जैसे ही हम संवत 2081 में प्रवेश करने के बाद भी सतर्कता भरा आउटलुक अहम है। गर्ग का कहना था कि नए साल में भारतीय शेयर बाजार में कई तरह की चुनौतियां दिख सकती हैं, मसलन संभावित ग्लोबल अस्थिरता, अमेरिकी चुनाव, अमेरिकी और यूरोप में ब्याज संबंधी फैसले, मध्य-पूर्व में युद्ध की आशंका, घरेलू आर्थिक दबाव और कमजोर तिमाही नतीजे। ये फैक्टर्स बाजार में उतार-चढ़ाव तेज कर सकते हैं।
बहरहाल, अजय गर्ग का यह भी कहना था कि भारत की मजबूत लॉन्ग टर्म ग्रोथ की संभावनाओं को भी ध्यान में रखना जरूरी है। शॉर्ट टर्म अनिश्चितताओं के बावजूद सतर्कतापूर्ण रणनीति और पोर्टफोलियो के बेहतर मैनेजमेंट के जरिये बाजार में संभावनाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पूछे जाने पर क्या फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FII outflow) की बिकवाली जारी रहेगी, गर्ग ने कहा कि घरेलू और ग्लोबल वजहों से FIIs लगातार भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं।
अक्टूबर में शेयर बाजार में रिकॉर्ड स्तर पर बिकवाली रही और यह मार्च 2020 के मार्केट क्रैश को भी पार कर गया। गर्ग का कहना है कि ‘सेल इंडिया, बाय चाइना’ का प्रचार-प्रसार चीन के हालिया पॉलिसी संबंधी ऐलानों की वजह से भी हो रहा है, जिसका मकसद चीन की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है। इन ऐलानों की वजह से चीन के शेयर बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि ग्लोबल स्तर पर आर्थिक अनिश्चितताओं की वजह से FII द्वारा और बिकवाली देखने को मिल सकती है।
गर्ग का कहना था कि भारत के फंडामेंटल्स मजबूत हैं, लेकिन इनफ्लेशन के मोर्चे पर चुनौती, पॉलिसी संबंधी चिंताएं और मार्केट की हाई वैल्यूएशन आदि वजहों से FIIs सावधानी बरतना जारी रखेंगे। क्या हालिया करेक्शन के बाद भी भारतीय बाजार ओवर-वैल्यूएशन का शिकार है, इस बारे में गर्ग का कहना था कि निफ्टी 50 और सेंसेक्स पारंपरिक तौर पर बाकी इमर्जिंग मार्केट्स के मुकाबले प्रीमियम वैल्यूएशन पर कारोबार करते रहे हैं। तेल की कीमतों के बारे में उन्होंने कहा कि अगर भू-राजनीतिक तनाव में बढ़ोतरी होती है या चीन की अर्थव्यवस्था में तेजी से रिकवरी होती है, तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है।