आईटी कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों ने कुछ उम्मीद जगाई है। खासकर अमेरिका में बैकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस सेगमेंट (बीएफएसआई) में कंपनियां खर्च बढ़ा रही हैं। तो क्या इसका आईटी शेयरों पर अच्छा असर पड़ेगा? एनालिस्ट्स का कहना है कि अभी अनुमान लगाने में हमें जल्दबाजी नहीं करना चाहिए। हालांकि, स्थितियां अनुकूल दिख रही हैं।
अमेरिका में फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के इंटरेस्ट रेट में अगले महीने कमी कर सकता है। इसका फायदा आईटी कंपनियों (IT Stocks) को मिलेगा। दूसरा, लंबे समय के बाद फिर से आईटी कंपनियां एंप्लॉयीज की भर्ती कर रही हैं। FY25 के दूसरी तिमाही के नतीजों में आईटी कंपनियों के मैनेजमेंट ने आगे डिमांड अच्छी रहने के संकेत दिए हैं। इसका मतलब है कि आगे फ्रेशर्स के साथ एक्सपीरियंस वाले एंप्लॉयीज की भर्ती होगी। अमेरिका में बड़े बैंकों की अर्निंग्स अच्छी है। इसका भी पॉजिटिव असर आईटी सर्विसेज की डिमांड पर पड़ेगा।
अक्टूबर में विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने इंडियन मार्केट्स में 1,00,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिकवाली की है। इससे Nifty के अलग-अलग सूचकांकों में 3-14 फीसदी गिरावट आई है। लेकिन, आईटी इंडेक्स पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। अब सवाल यह है कि अगर विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रहती है तो क्या आईटी शेयरों में गिरावट नहीं आएगी? इस सवाल के जवाब के लिए हमें इंतजार करना पड़ेगा।
कोल इंडिया के शेयर 28 अक्टूबर को 3.76 फीसदी गिरकर 443.75 रुपये पर बंद हुए। Coal India के दूसरी तिमाही के नतीजे खराब आए हैं। कंपनी के प्रॉफिट में साल दर साल आधार पर 22 फीसदी गिरावट आई है। बुल्स को Emkay Global की रिपोर्ट में उम्मीद दिख रही है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि FY25 की दूसरी छमाही में कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रह सकता है। कंपनी की डिविडेंड यील्ड स्टोरी पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसलिए इस स्टॉक में गिरावट आने पर खरीदारी की जा सकती है। उधर, बेयर्स का कहना है कि पावर की कमजोर डिमांड के बीच कोल वॉल्यूम कम है। मानसून में ज्यादा बारिश और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कीमतों में नरमी रही है। इसका असर कंपनी के मार्जिन पर पड़ा है।
इंडिगो के शेयरों में 28 अक्टूबर को 8.04 फीसदी गिरावट आई। इसकी वजह दूसरी तिमाही के Indigo के कमजोर नतीजे हैं। कंपनी को दूसरी तिमाही में 987 करोड़ रुपये का लॉस हुआ है। बुल्स का कहना है कि क्रूड की कीमतों में आगे तेजी की उम्मीद नहीं है। यह इंडिगो के मार्जिन के लिए पॉजिटिव होगा। खासकर कंपनी के इंटरनेशनल ऑपरेशन पर इसका अच्छा असर पड़ेगा। सप्लाई चेन से जुड़े मसलों की वजह से प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस कंपनियों को क्षमता बढ़ाने में दिक्कत आ रही है। इसका फायदा इंडिगो को होगा। बेयर्स का कहना है कि एयरलाइंस कंपनियों के स्टॉक्स को हाई वैल्यूएशन पर दबाव का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा एयरलाइंस इंडस्ट्री में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। रेगुलेटरी लेवल पर अनिश्चितता है।