फेडरल बैंक के दूसरी तिमाही के नतीजे अच्छे हैं। नए सीईओ केवीएस मणियन ने करीब एक महीने पहले जिम्मेदारी संभाली थी। इसके बावजूद बैंक का प्रदर्शन अच्छा है। आम तौर पर नेतृत्व में बदलाव का असर बैंक के प्रदर्शन पर पड़ता है। फेडरल बैंक की क्रेडिट ग्रोथ अच्छी रही है। बैंक की क्रेडिट ग्रोथ इस दौरान साल दर साल आधार पर 19 फीसदी रही, जबकि तिमाही दर तिमाही आधार पर 4 फीसदी रही। बैंक के मैनेजमेंट को FY25 में 18 फीसदी से ज्यादा ग्रोथ का भरोसा है।
क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो बढ़ा
Federal Bank की डिपॉजिट ग्रोथ क्रेडिट ग्रोथ के मुकाबले कम है। इससे क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो बढ़ा है। दूसरी तिमाही में डिपॉजिट ग्रोथ साल दर साल आधार पर 15.6 फीसदी रही है, जबकि तिमाही दर तिमाही दर पर 1.1 फीसदी रही है। हालांकि, लो कॉस्ट डिपॉजिट की ग्रोथ 3.9 फीसदी रही है। इससे CASA रेशियो 80 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कर 30.7 फीसदी पहुंच गया। टर्म डिपॉजिट में ग्रोथ नहीं दिखी। एनआरआई डिपॉजिट तिमाही दर तिमाही आधार पर 1.6 फीसदी बढ़ी। कुल डिपॉजिट में एनआरआई डिपॉजिट की हिस्सेदारी 29 फीसदी है।
इंटरेस्ट मार्जिन स्टेबल रहने की उम्मीद
दूसरी तिमाही में नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) 3.12 फीसदी रहा। यह तिमाही दर तिमाही आधार पर एनआईएम में 4 बेसिस प्वाइंट्स की कमी है। हालांकि, इसकी वजह अकाउंटिंग के तरीके में बदलाव है। एनआईएम में भले ही हल्की गिरावट आई, लेकिन वास्तविक नेट इंटरेस्ट मार्जिन तिमाही दर तिमाही आधार पर 3 बेसिस प्वाइंट्स बढ़कर 3.19 फीसदी तक पहुंच गया। शॉर्ट टर्म में बैंक का इंटरेस्ट मार्जिन स्टेबल रहने की उम्मीद है।
माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में अभी दबाव नहीं
फेडरल रिजर्व की एसेट क्वालिटी में दूसरी तिमाही में भी इम्प्रूवमेंट दिखा। इस दौरान स्लिपेज रेशियो 0.76 फीसदी रहा। बैंक ने माइक्रो फाइनेंस (MFI) और क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन जैसे अनसेक्योर्ड प्रोडक्ट्स में दबाव की बात मानी है। लेकिन उसके कुल लोन बुक में इन लोन की हिस्सेदारी 5 फीसदी से भी कम है। बैंक ने अनसेक्योर्ड लोन में ग्रोथ सुस्त रखने की स्ट्रेटेजी अपनाई है। उधर, माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में इसके ज्यादा लोन दक्षिण भारत में है। अभी इसमें ज्याद प्रॉब्लम नहीं दिखी है।
नए सीईओ को मार्जिन बढ़ाने के करने होंगे उपाय
दूसरी तिमाही में ट्रेडिंग गेंस बढ़ा है। बैंक का रिटर्न ऑन एसेट (RoA) 1.28 फीसदी रहा है। FY25 में आरओई इसी लेवल पर रहने की उम्मीद है। Federal Bank के नए सीईओ आने वाले महीनों में मार्जिन में इम्प्रूवमेंट के लिए स्ट्रेटेजी बनाएंगे। एक बार आरओए में इम्प्रूवमेंट शुरू होने पर वैल्यूएशन की रिरेटिंग हो सकती है। अभी फेडरल बैंक का कोई बिजनेस सीधे तौर पर कैपिटल मार्केट्स से नहीं जुड़ा है।