मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 9 की वैल्यू बीते हफ्ते कंबाइंड रूप से 2.10 लाख करोड़ रुपए कम हुई है। इस दौरान हिंदुस्तान यूनिलीवर टॉप लूजर रही। हफ्ते भर के कारोबार के दौरान कंपनी का मार्केट कैप 44,196 करोड़ रुपए कम होकर 5.94 लाख करोड़ रुपए पर आ गया।
HUL के अलावा, रिलायंस इंडस्ट्रीज दूसरी बड़ी लूजर रही। कंपनी का मार्केट कैप हफ्ते भर में 41,995 करोड़ रुपए गिरकर 17.97 लाख करोड़ रुपए रह गया है। इनके अलावा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), भारती एयरटेल, TCS की वैल्यूएशन भी गिरी है।
DHFC बैंक का मार्केट कैप ₹46,891 करोड़ बढ़ा इस दौरान मार्केट वैल्यू के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा प्राइवेट सेक्टर बैंक HDFC अकेला गेनर रहा। बैंक का वैल्यूएशन 46,891 करोड़ रुपए बढ़कर 13.30 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
पिछले हफ्ते 1822 अंक गिरा शेयर बाजार पिछले हफ्ते के कारोबार के बाद शेयर बाजार में 1822 अंक की गिरावट रही। आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (25 अक्टूबर) को लगातार पांचवें दिन गिरावट देखने को मिली। सेंसेक्स 662 अंक (0.83%) की गिरावट के साथ 79,402 के स्तर पर बंद हुआ।
निफ्टी भी 218 अंक (0.90%) गिरा, ये 24,180 के स्तर पर बंद हुआ। वहीं, BSE स्मॉल कैप 1,307 अंक (2.44%) गिरकर 52,335 के स्तर पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 20 में गिरावट और 10 में तेजी रही।
निफ्टी के 50 शेयरों में से 38 में गिरावट और 12 में तेजी रही। FMCG और हेल्थकेयर इंडेक्स छोड़कर सभी सेक्टर गिरावट के साथ बंद हुए। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सबसे ज्यादा 2.52% गिरा।
मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है? मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।
मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।
मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)
मार्केट कैप कैसे काम आता है? किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।
कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।
मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है? मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।