Share Market Falls: अक्टूबर महीने में अब तक शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई है। विदेशी निवेशकों (FII) ने रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। यह आंकड़ा कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2020 में हुई 65,000 करोड़ रुपये की बिकवाली से भी अधिक है। चीन के शेयर बाजारों में हालिया तेजी और भारत के ऊंचे वैल्यूएशन के चलते कई विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से पैसा निकालकर चीन में निवेश बढ़ाया है।
कोरोना महामारी के बाद शेयर बाजार में शुरू हुए तेजी के सिलसिले ने तमाम छोटे निवेशकों यानी रिटेल निवेशकों को भी बाजार में पैसा लगाने के लिए आकर्षित किया। इसके चलते शेयर बाजार में अब घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) का असर बढ़ा है। अक्टूबर में जहां FIIs ने अंधाधुंध बिकवाली की, वहीं DIIs ने 82,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि बाजार में झोंकी। इससे बाजार में संतुलन बना रहा।
रिटेल निवेशकों की बेचैनी बढ़ी
हालांकि इसके बावजूद विदेशी निवेशकों की बिकवाली नहीं थम रही है और इसके चलते निफ्टी इंडेक्स इस महीने अब तक 5 फीसदी से अधिक गिर चुका है। इस लंबी बिकवाली ने अब रिटेल निवेशकों के बीच बेचैनी की स्थिति पैदा कर दी है।
कोरोना महामारी के दौरान डिजिटलाइजेशन, बढ़ती आय और स्टॉक के शानदार रिटर्न्स के चलते रिटेल निवेशक बाजार की ओर आकर्षित हुए। पिछले 4 सालों में डीमैट खातों की संख्या 4 करोड़ से बढ़कर 17 करोड़ हो गई है। लेकिन अब जब बाजार मंदी की गिरफ्त में है, तो यह नए निवेशकों की जोखिम सहने की क्षमता और उनके बाजार के ज्ञान की परीक्षा हो सकती है।
किस सेक्टर में गिरावट, कहां बना रहा संतुलन?
पिछले एक साल में जिन सेक्टरों में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई थी, उन्हीं में अक्टूबर में सबसे बड़ी गिरावट आई। ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर, जो कि एक साल में 50-70% तक बढ़े थे, अक्टूबर में 10% तक गिर गए। इसी तरह, मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स, जो पिछले एक साल में 40% तक बढ़े थे, उनमें निफ्टी 50 के मुकाबले ज्यादा गिरावट देखी गई।
शेयर बाजार को देखने के 3 नजरिए
मार्केट्स एनालिस्ट्स का कहना है कि हम शेयर बाजार को तीन नजरिए – फंडामेंटल, टेक्निकल, और लिक्विडिटी से देख सकते हैं और फिलहाल ये तीनों ही आउटलुक मजबूत नहीं दिख रहे हैं। फंडामेंटल नजरिए से देखे तों, शेयरों के भाव में हाल में खूब उछाल आया है, लेकिन इसके मुकाबले उनकी कमाई में कोई इजाफा नहीं हुआ है। वहीं टेक्निकल नजरिए से देखें तो, निफ्टी 50 इंडेक्स हाल ही में ‘हेड एंड शोल्डर’ पैटर्न से नीचे आ गया। वहीं मिडकैप व स्मॉलकैप इंडेक्स, हायर हाई और हायर लो के ऊपर जाते पैररल ट्रेंड से नीचे आ गए हैं।
तीसरा नजरिए बचा, लिक्विडिटी का। सितंबर में सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए शेयर बाजार में आने वाला पैसा अस्थिर रहा, लेकिन लंपसम म्यूचुअल फंड निवेश में गिरावट देखी गई। अगर अक्टूबर में भी म्यूचुअल फंड्स में गिरावट जारी रही, तो भविष्य में DII से बाजार को सपोर्ट मिलना मुश्किल हो सकता है।
गिरावट में हैं निवेश के अवसर
बाजार की गिरावट को कभी-कभी लंबी अवधि के निवेश के लिए अच्छे अवसरों के रूप में देखा जा सकता है। फंडामेंल रूप से मजबूत कंपनियों में निवेश करके, निवेशक भारत की लंबी अवधि की ग्रोथ स्टोरी का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए, जब आप निवेश से निकलने के बारे में सोच रहे हों, तो अच्छी कंपनियों में निवेश के अवसरों पर भी नजर रखें।
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