सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs)भारतीय निवेशकों के लिए गोल्ड में निवेश का बेहतर विकल्प बनकर सामने आया है। चूंकि अभी नए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी नहीं किए जा रहे हैं, लिहाजा सेकेंडरी मार्केट्स में चुनिंदा सीरीज की काफी मांग देखने को मिली है। इस वजह से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की यूनिट्स 5-10 पर्सेंट प्रीमियम पर ट्रेड कर रही हैं।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स सरकारी गोल्ड बॉन्ड होते हैं, जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करता है। अतिरिक्त कूपन रेट और मैच्योरिटी पर मिलने वाले छूट की वजह से यह बॉन्ड अन्य गोल्ड इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के मुकाबले ज्यादा लोकप्रिय है। कई छोटे निवेशक सेकेंडरी मार्केट्स से पुरानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सीरीज खरीदने के लिए आकर्षित होते हैं। हालांकि, हकीकत यह है कि ऐसे ज्यादा सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स की एक्टिव ट्रेडिंग नहीं होती है। हम आपको यहां सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स खरीदने से जुड़ी संभावित नुकसान के बारे में बता रहे हैं।
रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2016 से वित्त वर्ष 2024 के दौरान 67 किस्तों में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी किया था। मनीकंट्रोल ने सबसे पहले खबर दी थी कि सरकार इस स्कीम का दायरा सीमित कर सकती है और इसे घटा सकती है, क्योंकि यह एक महंगा विकल्प साबित हो रहा है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड क्यों प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं?
अब तक जो भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड सीरीज लॉन्च हुई हैं, उनकी लिस्टिंग सेकेंडरी मार्केट्स में हो चुकी है और ये और BSE और NSE में कैश सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध है। निवेशक अपने डीमैट खातों का इस्तेमाल करते हुए इसे खरीद या बेच सकते हैं। एक यूनिट सॉवरेन गोल्ड एक ग्राम गोल्ड के बराबर है।
ज्यादातर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड रेफरेंस रेट से प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) 999 प्योरिटी गोल्ड रेट सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के लिए रेफरेंस रेट है। मिसाल के तौर पर ‘SGBDEC25’ सीरीज का ट्रेडेड प्राइस 23 अक्टूबर को 8,700 रुपये था, जो IBJA के रेफरेंस रेट (7,869 रुपये) से 10 पर्सेंट ज्यादा है। दरअसल, नए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड इश्यू के अभाव में इन बॉन्ड्स की मांग बढ़ गई है और इस वजह से इन बॉन्ड्स की कीमत में रेफरेंस प्राइस के मुकाबले और बढ़ोतरी देखने को मिली है।
सैंक्टम वेल्थ में इनवेस्टमेंट प्रोडक्ट्स के हेड आलेख यादव ने बताया, ‘सरकार ने हाल में सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करने से जुड़ी जटिलताओं के बारे में बात की थी। साथ ही, इस बात को लेकर चिंता जताई थी कि भविष्य में शायद नए इश्यू नहीं आ पाएं। नतीजतन, निवेशकों को अब फ्रेश सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने का मौका नहीं मिलेगा।’
प्रीमियम पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदें?
जो निवेशक सेकेंडरी मार्केट्स में प्रीमियम पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) खरीदेंगे, उन्हें अगले 5-6 साल में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। फिस्डम (Fisdom) के रिसर्च हेड नीरव करकेरा ने बताया, ‘अगर प्रीमियम के अनुरूप गोल्ड की कीमतें नहीं बढ़ती हैं, तो निवेश अंडरपरफॉर्म कर सकता है।’ यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि सॉवरेन गोल्ड यूनिट्स का रिडेम्प्शन प्राइस तात्कालिक मार्केट प्राइस के हिसाब से तय किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक, छोटे निवेशकों के लिए प्रीमियम प्राइस पर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की यूनिट्स खरीदना जोखिम भरा हो सकता है।