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बेचो, बेचो, बेचो… बाजार को किसकी लगी नजर, कोरोना के बाद सबसे ज्‍यादा मायूसी, चेतावनी क्‍या?

नई दिल्‍ली: इस महीने शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है। विदेशी निवेशकों ने जमकर शेयर बेचे हैं। कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे हैं। इसके कारण अक्टूबर का महीना शेयर बाजार के लिए साल 2020 के बाद सबसे खराब साबित हो रहा है। शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला गुरुवार को लगातार चौथे दिन जारी रहा। इस गिरावट ने निवेशकों के पसीने छुड़ा दिए हैं।अक्टूबर में अब तक सेंसेक्स करीब 5% गिर चुका है। यह गिरावट जून 2022 में हुई 4.58% की गिरावट से भी ज्‍यादा है। हाल के वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट फरवरी और मार्च 2020 में कोविड के समय देखने को मिली थी। तब सेंसेक्स में 6% और 23% की गिरावट आई थी।

 

इस महीने BSE पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 29 लाख करोड़ रुपये घट गया है। हालांकि, घरेलू निवेशकों का बाजार में मजबूत निवेश बना हुआ है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ वीके विजयकुमार का कहना है कि मौजूदा हालात में बाजार में भारी गिरावट की आशंका कम है। कारण है कि घरेलू निवेशक बाजार को संभालने के लिए पर्याप्त मजबूत हैं। लेकिन, बाजार में गिरावट संभव है। हमें बाजार में करेक्‍शन दिख रहा है, जो मुख्य रूप से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली के कारण है।

कौन बन गया है बाजार के लिए विलेन?

इस महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय बाजार से लगभग 82,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह किसी भी एक महीने में विदेशी निवेशकों की ओर से की गई अब तक की सबसे बड़ी बिकवाली है। यह कोविड के समय हुई बिकवाली से भी कहीं ज्‍यादा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारतीय शेयर बाजार इतने महंगे स्तर पर कारोबार नहीं कर रहे होते तो विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली इतनी ज्‍यादा नहीं होती।

कंपनियों के तिमाही नतीजे भी उत्साहजनक नहीं रहे हैं। इससे बाजार की धारणा और कमजोर हुई है। इसके अलावा, हुंडई इंडिया जैसी बड़ी कंपनियों के आईपीओ और QIP के जरिए कंपनियों के धन जुटाने से भी बाजार से पैसा निकल रहा है।

अंतरराष्‍ट्रीय तनाव और अगले महीने होने वाले अमेरिकी चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चितता भी कुछ निवेशकों को सतर्क बना रही है।

वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों की कमाई में ग्रोथ घटकर लगभग 10% रहने का अनुमान है। यह वित्त वर्ष 2023-24 में 26% थी। दूसरी तिमाही में निफ्टी-50 कंपनियों के मुनाफे में साल-दर-साल केवल 2% की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।

सबसे बड़ी चेतावनी

कई कंपनियों के तिमाही नतीजे अनुमान से कमजोर रहे हैं। गोल्डमैन सैक्स ने भारतीय शेयर बाजारों पर अपना नजरिया ‘ओवरवेट’ से घटाकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। उनका कहना है कि ऊंचे मूल्यांकन और कमजोर बाजार धारणा निकट भविष्य में बाजार की बढ़त को सीमित कर सकते हैं।

इन्क्रेड इक्विटीज के विश्लेषकों ने भी निफ्टी के लिए अपना लक्ष्य 3% घटाकर 25,978 कर दिया है। उनका कहना है कि ऊंचे मूल्यांकन के कारण दिसंबर 2024 तिमाही तक बाजार में गिरावट जारी रह सकती है।

कुछ जानकारों का अलग रुख

हालांकि, डॉ विजयकुमार का मानना है कि वित्त वर्ष 2025-26 में कंपनियों की कमाई में सुधार की उम्मीद है। एक बार जब कमाई में सुधार स्पष्ट हो जाएगा, तो बाजार में तेजी लौट सकती है।

कई विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट ज्‍यादा है और बाजार में जल्द ही तेजी आ सकती है। गोल्डिलॉक्स प्रीमियम रिसर्च के गौतम शाह ने कहा, ‘बाजार धीरे-धीरे ओवरसोल्ड हो रहा है और मुझे यहां से 2%, 3%, 4% से ज्यादा गिरावट नजर नहीं आ रही है, जबकि ऊपर जाने की संभावना भी उतनी ही अधिक है। यह एक अच्छा मौका है जिसका फायदा उठाना चाहिए।’

फंड मैनेजर गुरमीत चड्ढा का कहना है कि चूंकि गिरावट का एक बड़ा हिस्सा भारत से जुड़े कारणों से नहीं है, इसलिए तेजी भी बहुत जल्दी आएगी। ऐसे में उन कंपनियों में निवेश करना महत्वपूर्ण है जहां कमाई की अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत हैं और मैक्रोइकनॉमिक स्थिति भी अच्छी है। इसके बावजूद हमने लंबे समय से 10% का सुधार नहीं देखा है। बाजार में गिरावट एक आम बात है।

चड्ढा ने कहा, ‘कोई भी गिरावट परेशान करने वाली होती है, लेकिन यह थोड़ी ज्‍यादा परेशान करने वाली लग रही है क्योंकि यह बहुत तेजी से आई है।’

आज भी छाई रही मायूसी

गुरुवार को लगातार चौथे सत्र में तीस शेयरों वाले बीएसई सेंसेक्स में कारोबार हल्का रहा। यह 16.82 अंक यानी 0.02 फीसदी की गिरावट के साथ 80,065.16 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान सूचकांक ऊंचे में 80,259.82 अंक तक गया। जबकि नीचे में 79,813.02 अंक तक आया। उतार-चढ़ाव भरे कारोबार में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 36.10 अंक यानी 0.15 फीसदी की गिरावट के साथ 24,399.40 अंक पर बंद हुआ।

(डिस्क्लेमर: इस विश्लेषण में दिए गए सुझाव व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, stock market news के नहीं। हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि किसी भी निवेश का निर्णय लेने से पहले प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श कर लें क्योंकि शेयर बाजार की परिस्थितियां तेजी से बदल सकती हैं।)

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