टू-व्हीलर्स कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन से ऑटो सेक्टर की चमक बढ़ी है। लेकिन, आगे दो-पहिया कंपनियों के लिए हालात मुश्किल दिख रहे हैं। उनकी सेल्स में सुस्ती दिख सकती है। बजाज ऑटो ने इसके संकेत दिए हैं। उसने इंडिया में सेल्स ग्रोथ के अनुमान में कमी की है। इसे 5-8 फीसदी के पहले के अनुमान से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। सितंबर में स्कूटी-मोटरसाइकिल्स की सेल्स अच्छी नहीं रही। इसमें महीने दर महीने के आधार पर 10 फीसदी और साल दर साल आधार पर 8.5 फीसदी की गिरावट आई। श्राद्ध पक्ष और मानसून की बारिश सहित इसकी कई वजहें रहीं।
पैसेंजर व्हीकल (PV) सेगमेंट का प्रदर्शन भी खराब रहा। सेल्स महीना दर महीना 10 फीसदी और साल दर साल 18.81 फीसदी कम रही। सीजनल इफेक्ट और इकोनॉमी की सुस्त पड़ती रफ्तार ने डीलर्स की चिंता बढ़ा दी है। उनकी इनवेंट्री में 7.9 लाख गाड़ियां हैं, जिनकी कीमत 79,000 करोड़ रुपये है। यह इनवेंट्री 80-85 दिनों की है। यह जानकारी डेटा FADA के डेटा पर आधारित है। सितंबर में सेल्स कमजोर रहने के बाद अब ऑटो कंपनियों और डीलर्स की नजरें फेस्टिव सीजन की डिमांड पर लगी हैं। ऑटो कंपनियों के लिए अक्टूबर में अच्छी सेल्स जरूरी है। इससे न सिर्फ इनवेंट्री में कमी आएगी बल्कि इस वित्त वर्ष के बाकी महीनों में सेल्स बेहतर रहने की उम्मीद बढ़ेगी।
विप्रो के शेयर 18 अक्टूपबर को 3.6 फीसदी चढ़कर 547.48 रुपये पर बंद हुए। इसकी वजह कंपनी के दूसरी तिमाही के बेहतर नतीजे हैं। Wipro के नतीजे मार्केट के अनुमान से बेहतर हैं। करीब सभी मोर्चों पर कंपनी का प्रदर्शन अच्छा रहा। लगातार छह तिमाहियों तक गिरावट के बाद रेवेन्यू में ग्रोथ दिखी। कंपनी को आगे अच्छी डील्स मिलने की उम्मीद है। एआई-पावर्ड सॉल्यूशन और वेंडर कॉन्सॉलिडेशन के मौकों से नई डील्स हासिल करने में मदद मिली। लेकिन, कंपनी का एग्जिक्यूशन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के मुकाबले कमजोर है। इससे लंबी अवधि में ग्रोथ के मौकों का फायदा उठाने के लिहाज से कंपनी की क्षमता सीमित हो जाती है।