भारतीय शेयर बाजार में एक नई चुनौती देखने को मिल रही है। यह चुनौती है स्टॉक्स की भारी सप्लाई की। लगातार लॉन्च हो रहे IPO और बड़े इंस्टीट्यूशन की ओर से बिकवाली के चलते मार्केट में स्टॉक्स की सप्लाई यानी संख्या बढ़ती जा रही है। यह सप्लाई ऐसे समय में बढ़ रही है, जब शेयर बाजार पहले से ही विदेशी निवेशक की ओर से भारी बिकवाली और कमजोर तिमाही नतीजों के चलते दबाव में है। हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor India) ने हाल ही में देश का सबसे बड़े IPO लॉन्च करके 3.3 अरब डॉलर जुटाए हैं। इसके अलावा अभी लगभग 6 अरब डॉलर के IPO लॉन्च होने के लिए तैयार हैं, जिन्हें सेबी से पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।
इन नए IPOs के बाद शेयरों की सप्लाई में और बढ़ोतरी हो जाएगी। इसी महीने, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 7 अरब डॉलर से अधिक की राशि निकाली है। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने आक्रामक खरीदारी करके इस बिकवाली के दबाव को कुछ हद तक कम किया है, लेकिन बाजार फिर भी अपने दो सालों में सबसे खराब महीने की ओर बढ़ रहा है।
Axis Mutual Fund के चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर, अशीष गुप्ता का कहना है कि “बाजार में बढ़ते शेयर सप्लाई के कारण, अब सिर्फ घरेलू फंड के मजबूत फ्लो से बाजार को लगातार ऊपर उठाए रखने में मुश्किल हो सकती है।”
Hyundai के IPO को लेकर इस साल अबतक भारतीय कंपनियां 12 अरब डॉलर से अधिक की राशि IPOs के जरिए जुटा चुकी हैं। यह पिछले दो सालों के मुकाबले अधिक है।
इसके साथ ही, कंपनी के फाउंडर्स भी स्टॉक में आई तेजी का लाभ उठाते हुए अपने शेयर इंस्टीट्यूशंस को बेच रहे हैं। PRIME Database Group के मैनेजिंग डायरेक्टर, प्रणव हल्दिया के मुताबिक, यह पिछले पांच सालों में कंपनी के प्रमोटर्स की ओर से की गई सबसे बड़ी शेयर बिक्री है। उन्होंने इस साल अबतक करीब 25 अरब डॉलर के शेयर बेचे हैं और इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के जरिए 11 अरब डॉलर से अधिक की राशि जुटाई है।
हल्दिया का कहना है कि घरेलू निवेशक इस सप्लाई को पूरी तरह से एबजॉर्ब कर रहे हैं। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि म्यूचुअल फंड्स के पास काफी नकदी है और ‘FOMO’ यानी Fear Of Missing Out के कारण निवेशक बाजार में गिरावट आने पर निवेश करने के लिए तैयार बैठे हैं।
लेकिन, इतिहास हमें बताता है कि इतने बड़े पैमाने पर शेयर बिक्री के समय सावधानी बरतनी चाहिए। 2007 के बाद से 2 अरब डॉलर से अधिक साइज के पांच IPOs आए हैं, इसमें से केवल दो – DLF Ltd और Coal India Ltd ने लिस्टिंग के एक महीने के भीतर पॉजिटिव रिटर्न दिया है। बड़े IPOs का समय अक्सर बाजार के पीक लेवल के साथ मेल खाता है, और इनके बाद अक्सर बाजार में गिरावट देखी जाती है।
इस बीच निफ्टी इंडेक्स, Hyundai के रिकॉर्ड IPO के पहले ही अपने 26 सितंबर के शिखर से करीब 5% गिर चुका है। कुल मिलाकर, इस समय बाजार में शेयर सप्लाई के चलते काफी अस्थिरता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि घरेलू निवेशक इस सप्लाई को कैसे संभालते हैं और क्या बाजार इस दबाव से उभर पाएगा।