रिलायंस इंडस्ट्रीज के तेल-से-रसायन (ओ2सी) कारोबार में चालू वित्त वर्ष के दौरान आगे भी नरमी बरकरार रह सकती है। विश्लेषकों और कंपनी के अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
बैंक ऑफ बड़ौदा कैपिटल के विश्लेषकों ने मंगलवार को आरआईएल के संबंध में परिणाम के बाद की रिपोर्ट में कहा, ‘प्रबंधन खुदरा और ओ2सी, दोनों कारोबारों में अगली कुछ तिमाहियों के लिए नरमी का अनुमान जता रहा है।’
सितंबर 2024 में समाप्त हुई तिमाही (दूसरी तिमाही) में आरआईएल के ओ2सी कारोबार में सालाना आधार पर 5.1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ है, लेकिन इस श्रेणी का एबिटा 23 प्रतिशत घटकर 12,413 करोड़ रुपये रह गया, जबकि एबिटा मार्जिन में 300 आधार अंकों की कमी आई है।
मॉर्गन स्टैनली के विश्लेषकों ने दूसरी तिमाही को मुश्किल तिमाही करार देते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रिटेल और रिफाइनिंग में चक्रीय चुनौतियां साल 2025 में दूर हो जाएंगी, जो कि अनुमानित डाउनग्रेड चक्र को पलटने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
बैंक ऑफ बड़ौदा कैपिटल ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया है कि आरआईएल की आय शायद अपने निचले स्तर पर पहुंच चुकी है, लेकिन कुछ तिमाहियों तक नरमी बनी रह सकती है।
एचएसबीसी के विश्लेषक भी इस बात से सहमत हैं। उन्होंने कहा कि कमजोर व्यापक आर्थिक हालात और नई क्षमता चालू होने के मद्देनजर ओ2सी की संभावना सुस्त रहेगी। आरआईएल के दूसरी तिमाही के 43,934 करोड़ रुपये के समेकित एबिटा में ओ2सी ने 12,413 करोड़ रुपये का योगदान किया।
नोमुरा के विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि परिवहन ईंधन स्प्रेड में गिरावट के कारण दूसरी तिमाही में आठ डॉलर प्रति बैरल के रिफाइनिंग मार्जिन में तिमाही आधार पर 0.5 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आई है।
जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने कहा कि अक्टूबर में अब तक आरआईएल के पेटकेम कारोबार का मार्जिन उत्साहजनक नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि सर्दी में डीजल की मांग को सीजन के लिहाज से सहारा मिल सकता है।
जेफरीज जैसी अन्य कंपनियों ने ओ2सी कारोबार के मामले में एबिटा के अपने अनुमानों में और कटौती की है। विश्लेषकों ने कहा कि उन्होंने चीन में डीजल की मांग में गिरावट तथा चीन और भारत में कमजोर मांग के कारण पेट्रोकेमिकल स्प्रेड में अभूतपूर्व कमजोरी के कारण ओ2सी अनुमानों में कमी की है।
इसके बजाय नोमुरा के विश्लेषक उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले महीनों में आरआईएल के लिए नए ऊर्जा परिचालन की शुरुआत महत्वपूर्ण कारक होगी।