अगले कुछ महीनों के लिए बाजार पर आपका नजरिया क्या है?
जून 2024 के शुरू में आम चुनाव में तेज गिरावट के बाद बाजार में अच्छी तेजी आई थी। इसलिए वैश्विक और घरेलू तौर पर प्रमुख घटनाक्रमों से पहले उनके लिए विराम लेना ज्यादा अच्छा होगा। निफ्टी में आम तौर पर हर साल दो-तीन बार 5 से 8 प्रतिशत की गिरावट आती है और निवेशकों को इससे प्रभावित नहीं होना चाहिए। हालांकि यह गिरावट मुख्य बाजारों में ज्यादा गंभीर हो सकती है क्योंकि स्मॉल और माइक्रोकैप कि कुछ शेयरों में मूल्यांकन काफी बढ़े हुए हैं।
क्या बाजार कच्चे तेल की कीमतों के मौजूदा स्तर पर सहज हैं?
कच्चे तेल की कीमत पश्चिम एशिया में बढ़ते भूराजनीतिक संकट के बावजूद सितंबर में आश्चर्यजनक रूप से नरम थीं। हालांकि तनाव बढ़ने के साथ ही यह रुझान उलट गया है। अगर कच्चे तेल की कीमतें 85-90 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाती हैं तो इससे भारतीय बाजार का मनोबल गिर सकता है।
बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति का किस हद तक असर आ चुका है?
पिछले अनुभवों से पता चलता है कि किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित सशस्त्र संघर्षों का इक्विटी बाजारों पर अस्थायी असर पड़ता है। इसके अलावा कोई भी संघर्ष कितना बढ़ जाएगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। इसलिए निवेशकों को भू-राजनीतिक मुद्दों का विश्लेषण करने के बजाय ऊर्जा की कीमतों या कच्चे माल की लागत में बदलाव के लिहाज से संघर्ष के नतीजों का असर देखना चाहिए।
दरअसल, भारतीय इक्विटी के लिए सबसे बड़ा अल्पावधि जोखिम विदेशी निवेशकों का चीन में अपना निवेश ले जाना है। चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक राहत उपायों की घोषणा की है और चीन के इक्विटी बाजार में मूल्यांकन अपेक्षाकृत सहज हैं। इसके अलावा अमेरिका में चुनाव, भारत में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के नतीजे जैसे अन्य महत्वपूर्ण कारकों को भी देखने की जरूरत है। वैश्विक तौर पर बात करें तो दर कटौती चक्र में प्रगति के साथ साथ अमेरिकी चुनाव के परिणाम पर भी नजर रहेगी।
क्या हरियाणा के चुनाव परिणामों के बाद बाजार की भाजपा से उम्मीदें बढ़ गई हैं?
आम चुनावों के बाद राज्य चुनावों को भाजपा के लिए परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था। हरियाणा चुनाव का परिणाम आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक था और बाजार की उम्मीदों से बेहतर था। इससे दिल्ली और महाराष्ट्र में आगामी चुनावों में भाजपा में जोश बढ़ सकता है। नतीजतन, बाजार की उम्मीदें बढ़ी हैं और उसे लग रहा है कि पार्टी का हरियाणा जैसा जादू महाराष्ट्र में भी चल सकता है। महाराष्ट्र चुनाव में उलटफेर होने पर निवेशकों का मनोबल कमजोर पड़ सकता है।
सितंबर तिमाही के नतीजों से आपको क्या उम्मीदें हैं?
पहली तिमाही के कमजोर आय सीजन के बाद वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में भी आय पर दबाव बरकरार रहने की संभावना है। दूसरी तिमाही में निफ्टी की आय में 3.5-4 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। इसलिए, हमें वित्त वर्ष 2025 और 2025-26 के दौरान निफ्टी के आय अनुमानों में डाउनग्रेड का जोखिम दिखता है। आय वृद्धि पर मुख्य दबाव बिल्डिंग मैटेरियल (सीमेंट और इस्पात), तेल एवं गैस और स्पेशियल्टी केमिकल्स से आ सकता है। वहीं कंज्यूमर स्टैपल्स, आईटी सेवा, दूरसंचार और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में हमें दो अंक की आय वृद्धि की उम्मीद है।
क्या खासकर स्मॉल एवं मिडकैप सेगमेंटों से प्राथमिक बाजारों में पूंजी जाने की संभावना है?
अगले कुछ महीनों के दौरान कई आईपीओ आएंगे। इनमें एथर एनर्जी, स्विगी, ह्युंडै मोटर इंडिया और एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी मुख्य रूप से शामिल हैं। इनके प्रति निश्चित तौर पर निवेशक आकर्षित होंगे। हालांकि हमें उम्मीद है कि घरेलू प्रवाह (खासकर स्मॉलकैप/थीमेटिक म्युचुअल फंडों में एसआईपी) की रफ्तार मजबूत बनी रहेगी और इससे इक्विटी बाजारों को ताकत मिलेगी। इसलिए आईपीओ के कारण व्यापक बाजारों में बड़ी गिरावट तो नहीं आएगी लेकिन कुछ दबाव हो सकता है।
कैलेंडर वर्ष 2024 में आप कहां चूके और कहां सफल रहे?
हाल के महीनों में हमने पूंजीगत वस्तुओं, इंजीनियरिंग और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे महंगे हो चुके क्षेत्रों से धीरे-धीरे पैसा निकाल लिया है जबकि आईटी सेवा, फार्मा और एफएमसीजी में अपना निवेश बढ़ाया है। यह हमारे लिए फायदेमंद साबित हुआ है। हमारा मानना है कि आईटी सेवा, फार्मा और वित्त क्षेत्र अगले 6 से 12 महीने में निफ्टी-50 के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। जहां तक चूक की बात है तो हमने नए जमाने की कुछ कंपनियों में सीमित निवेश किया है। ऑटोमेटिव एन्सिलियरी में भी कुछ दिलचस्प मौके चूके हैं।