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आने वाले हफ्तों में जारी रहेगा शेयर बाजार का उतार-चढ़ाव, अमेरिकी चुनाव नतीजों के बाद आ सकती है रैली

आने वाले हफ्तों में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा क्योंकि अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं, जिसका बहुत बड़ा असर होगा। यह अनुमान सैमको म्यूचुअल फंड के सीईओ विराज गांधी ने जताया है। उनका मानना ​​है कि चुनाव के नतीजों के बाद बाजार में स्पष्टता आने से यह फिर से ऊपर की ओर बढ़ सकता है। गांधी के अनुसार, आईटी क्षेत्र के लिए ग्रोथ को पूरी तरह से पटरी पर आने में वक्त लग सकता है क्योंकि दरों में कटौती का साइकिल अभी शुरू हुआ है।

क्या डिफेंस सेक्टर अभी आकर्षक लग रहा है? इस पर गांधी ने कहा कि डिफेंस सेक्टर विकास के चरण में है, जिसे सरकार की बदलावकारी पहलों का सपोर्ट प्राप्त है। चूंकि सरकार ने सख्त मानदंड लागू किए हुए हैं, इसलिए घरेलू कंपनियां विकास के इस चरण से लाभ हासिल करने के लिए तैयार हैं। इसके अलावा, यह बदलाव इंडियन डिफेंस कंपनियों द्वारा भविष्य के निर्यात अवसरों के लिए एक मजबूत नींव तैयार करेगा।

गांधी ने आगे कहा कि भले ही डिफेंस सेक्टर में कई स्टॉक अपने हाल के टॉप से काफी नीचे आ गए हैं, लेकिन शेयर अपेक्षाकृत हाई वैल्यूएशन रेशियो पर कारोबार कर रहे हैं, जो इस सेक्टर के भविष्य के विकास को दर्शाता है। अगर आय के आंकड़े उम्मीदों के अनुरूप नहीं आते हैं तो निवेशकों को संभावित अस्थिरता के लिए तैयार रहना चाहिए।

क्या IT सेक्टर पर ओवरवेट रेटिंग अपनाने का समय आ गया है?

गांधी का कहना है कि IT सेक्टर वैश्विक ब्याज दर वृद्धि साइकिल से उपजी चुनौतियों से उबर रहा है। हालांकि विकास को पूरी तरह से वापस आने में समय लग सकता है क्योंकि दर कटौती का साइकिल अभी शुरू हुआ है। वर्तमान वैल्यूएशंस ने पहले से ही इन भविष्य की अपेक्षाओं को ध्यान में रखा है। चूंकि अमेरिकी चुनाव नजदीक हैं, इसलिए फैसला लेने का दौर अभी भी अपेक्षाकृत धीमा रहेगा क्योंकि कंपनियां चुनाव के नतीजों के आधार पर खुद को तैयार करेंगी, जिसका लॉन्ग टर्म इफेक्ट हो सकता है। इसलिए, इस सेक्टर में वृद्धि देखी जाएगी। बदलते डायनामिक्स पर नजर रखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछली कुछ तिमाहियों में सेक्टोरल वैल्यूएशंस में तेजी आई है।

BFSI सेगमेंट पर क्या बोले

BFSI सेगमेंट को लेकर गांधी ने कहा कि ऋण की मांग में उछाल बना हुआ है। लेकिन भारतीय बैंकिंग उद्योग को जमा में कमी से एक महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। उच्च उधारी और सुस्त जमा वृद्धि के बीच बढ़ते अंतर ने उद्योग के लिए स्ट्रक्चरल लिक्विडिटी मसलों को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

बैंकिंग सिस्टम में ऋण-जमा अनुपात पिछले बीस वर्षों के हाई पर है। बैंक, जमा को आकर्षित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि बॉरोइंग साइकिल अभी भी सस्टेनेबल बना हुआ है। बैंक अधिक फंड आकर्षित करने के लिए जमा दरों में वृद्धि कर रहे हैं। अगर समस्याएं बनी रहती हैं, तो इससे उनके शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) पर असर पड़ सकता है। सेक्टर के लिए लॉन्ग टर्म आउटलुक पॉजिटिव बना हुआ है, लेकिन मौजूदा इश्यू के कारण सतर्कता के साथ आशावादी रुख अपनाया जा रहा है।

अमेरिकी चुनाव नतीजों का होगा बड़ा असर

यह पूछे जाने पर कि क्या आपको लगता है कि हाल ही में आई निगेटिविटी का अधिकांश हिस्सा पहले ही ध्यान में रखा जा चुका है और बाजार में और गिरावट के बजाय अपवार्ड रैली को फिर से शुरू करने के लिए ट्रिगर का इंतजार किया जा रहा है, गांधी ने कहा कि बाजार एक खूबसूरत डिस्काउंटिंग मशीन है और यह आमतौर पर उपलब्ध सूचनाओं में से अधिकांश को डिस्काउंट/फैक्टर करता है। हमें उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों तक बाजार में उतार-चढ़ाव बना रहेगा क्योंकि अमेरिका में आगामी चुनाव होने वाले हैं, जिसका बहुत बड़ा प्रभाव होगा। चुनाव परिणामों के बाद बाजार में स्पष्टता आने के बाद, यह अपनी ऊपर की ओर रैली को फिर से शुरू कर सकता है।

क्या मंथली ​इक्विटी फ्लो जल्द पहुंचेगा 1 लाख करोड़ रुपये पर?

गांधी के मुताबिक, भारतीय रिटेल इनवेस्टर्स अतीत की तुलना में अधिक मैच्योर, लॉन्ग टर्म अप्रोच का प्रदर्शन कर रहे हैं। यह रेगुलेटर्स और इंडस्ट्री पार्टिसिपेंट्स की ओर से किए जा रहे सार्वजनिक शिक्षा प्रयासों से प्रेरित है। बाजार में इस स्ट्रक्चरल बदलाव के कारण भागीदारी और फ्लो में वृद्धि हुई है। हालांकि इक्विटी फ्लो में कभी-कभी रुकावट आ सकती है, लेकिन फ्लो का ओवरऑल ट्रेंड सकारात्मक बना हुआ है। बहुत से निवेशक बाजार में नए हैं और उम्मीद है कि वे इस लॉन्ग टर्म अप्रोच को बरकरार रखने में सक्षम हैं। तो हां मंथली इक्विटी फ्लो जल्द ही 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है।

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