इलेक्ट्रिक टूव्हीलर मेकर ओला इलेक्ट्रिक (Ola Electric) की सर्विस को लेकर लगातार आ रही शिकायतों के चलते भारी उद्योग मंत्रालय ने ओला इलेक्ट्रिक के सर्विस सेंटर्स के ऑडिट का आदेश दिया है। यह बात रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में सोर्सेज के हवाले से कही गई है। इससे पहले खबर आई थी कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन पर 10000 से ज्यादा शिकायतें मिलने के बाद सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (CCPA) ने ओला इलेक्ट्रिक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
CCPA ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ सर्विस में कमी, अनुचित ट्रेड प्रैक्टिसेज और उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच कर रही है। कंज्यूमर्स की ओर से ओला इलेक्ट्रिक के खिलाफ मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट, बुकिंग कैंसिल करने पर आंशिक या शून्य रिफंड, सर्विसिंग के बावजूद डिफेक्ट बना रहना, ओवरचार्जिंग, इनवॉइस में गलतियां, बैटरी और व्हीकल कंपोनेंट्स को लेकर कई इश्यूज को लेकर शिकायतें की गई हैं।
किसे सौंपा गया है ऑडिट का जिम्मा
भारी उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाली टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन एजेंसी ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) को ऑडिट करने के लिए कहा गया है। ऑडिट के बाद सरकार आगे की कार्रवाई तय करेगी। रॉयटर्स के मुताबिक, सोर्सेज का कहना है कि भारी उद्योग मंत्रालय की ओर से ऑडिट का आदेश यह करने देखने के लिए दिया गया है कि ओला अपने सर्विस सेंटर्स को मेंटेन कर रही है या नहीं और कंज्यूमर्स को दी गई वारंटी का सम्मान कर रही है या नहीं। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रमोटर करने वाले सरकारी कार्यक्रम के तहत इंसेंटिव के लिए पात्र होने के लिए कंपनी को ये शर्तें पूरी करनी होंगी।
ओला इलेक्ट्रिक इस योजना के तहत लाभार्थी है, जिसका एलिजिबिलिटी सर्टिफिकेट ARAI ने जारी किया है। अगर शर्तों में उल्लंघन पाया जाता है, तो सरकारी कार्यक्रम के तहत इंसेटिव प्राप्त करने के लिए ओला की पात्रता प्रभावित हो सकती है। एचएसबीसी के एनालिस्ट्स ने सितंबर में एक नोट में कहा कि उन्होंने कई ओला सर्विस सेंटर्स का दौरा किया और ज्यादातर सर्विस रिक्वेस्ट से भरे दिखाई दिए।