मौद्रिक नीति समिति की हालिया बैठक में मुद्रास्फीति पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सतर्क रुख के कारण रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुएं (FMCG) बनाने वाली कंपनियों के शेयरों में निवेशकों के भरोसे की परीक्षा हो सकती है। विश्लेषकों ने यह बात कही।
हालांकि उनका मानना है कि एफएमसीजी शेयर निकट भविष्य में निवेशकों की इस चिंता से उबर सकते हैं क्योंकि कंपनियां आम तौर पर अपनी मूल्य निर्धारण ताकत और आवश्यक वस्तुओं की स्थिर मांग के कारण मुद्रास्फीति संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए सक्षम होती हैं। उनका कहना है कि निवेशकों को थोड़े समय में किसी भी गिरावट का उपयोग लंबी अवधि के लिए गुणवत्तापूर्ण शेयरों की लिवाली में करना चाहिए।
फिसडम के प्रमुख (अनुसंधान) नीरव करकेरा ने कहा, ‘मुद्रास्फीति पर आरबीआई की हालिया टिप्पणी से एफएमसीजी शेयरों के प्रति निवेशकों की सतर्कता बढ़ सकती है क्योंकि इनपुट लागत बढ़ने से मुनाफा मार्जिन पर दबाव पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि लघु अवधि में गिरावट के बावजूद एफएमसीजी क्षेत्र अपने स्थिर नकदी प्रवाह और मजबूती के कारण रक्षात्मक दांव होता है।’
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा था कि जुलाई से अगस्त की अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी आई। मगर उस दौरान मुख्य मुद्रास्फीति बढ़ रही थी जिसमें खाद्य और ईंधन की कीमतें शामिल नहीं हैं।
आरबीआई की टिप्पणी के बाद दो दिनों के दौरान निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। अगर इसकी तुलना बेंचमार्क निफ्टी 50 सूचकांक से की जाए तो उसमें महज 0.05 फीसदी की कमी आई है। पिछले छह महीनों के दौरान निफ्टी 50 सूचकांक में 9.8 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई जबकि एफएमसीजी सूचकांक में 14.3 फीसदी की उछाल आई।