इसे ध्यान में रखते हुए कुछ विश्लेषक निवेशकों को भारतीय शेयर बाजार में निवेश से परहेज करने और अल्पावधि-मध्यावधि नजरिये से चीनी बाजारों पर ध्यान देने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि उनका मानना है कि चीनी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में भारतीय
इक्विटी में कमजोरी कम समय तक रहेगी। नोमुरा के विश्लेषकों ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘हाल में घोषित मौद्रिक और तरलता उपायों तथा भविष्य में और अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन की अपेक्षाओं के कारण चीन के इक्विटी बाजार में नए सिरे से उत्साह पैदा होने, एशिया-एक्स-जापान सूचकांक (एईजे) के मुकाबले भारत के बाजार में अल्पावधि में कमजोर प्रदर्शन का जोखिम बढ़ रहा है। हालांकि इस तरह का जोखिम लंबे समय तक बना नहीं रहेगा, क्योंकि भारत की ढांचागत स्थिति काफी आकर्षक बनी हुई है।’
कनाडा स्थित शोध फर्म बीसीए रिसर्च के विश्लेषकों ने हाल के घटनाक्रम, विशेषकर चीन द्वारा दिए गए प्रोत्साहन की पृष्ठभूमि में निवेशकों को भारतीय बाजारों से बचने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि अगले कुछ महीनों के दौरान विदेशी निवेशक चीनी अधिकारियों द्वारा हाल में दिए गए प्रोत्साहन तथा उस शेयर बाजार के गिरते स्तर को देखते हुए, भारतीय बाजारों की कीमत पर चीनी बाजारों की ओर आकर्षित होंगे।
बीसीए रिसर्च का कहना है कि ऋण में कमी और राजकोषीय सख्ती भारत की आर्थिक वृद्धि में आसन्न मंदी की ओर इशारा करती है। उसका मानना है कि ब्याज भुगतान को छोड़कर राजकोषीय खर्च तेजी से कम हो रहा है। शोध फर्म ने चेतावनी दी है कि शेयर कीमतों के दोनों कारक- लाभ और (आय) मल्टीपल भारत में ऐसे समय में नीचे की ओर बढ़ रहे हैं जब इक्विटी मूल्यांकन रिकॉर्ड ऊंचाई पर है।
मूल्यांकन की चिंता
बुदाज्ञान का कहना हेकि मूल्यांकन के नजरिये से भी भारतीय शेयर मौजूदा समय में अपने स्वयं के इतिहास की तुलना में दो स्टैंडर्ड डेविएशन तक महंगे हैं। अपने ईएम प्रतिस्पर्धियों की तुलना में वे 1.5 स्टैंडर्ड डेविएशन तक ज्यादा महंगे हैं। बीसीए रिसर्च ने कहा है, ‘महंगे मूल्यांकन ने भारतीय बाजार को बिकवाली के लिहाज से ज्यादा कमजोर बना दिया है और किसी वैश्विक या घरेलू घटनाक्रम से यह बिकवाली देखी जा सकती है। कमजोर मुनाफे से पैदा होने वाली निराशा भी शेयर कीमतों में दबाव बढ़ा सकती है।’ मैक्वेरी के अनुसार, ताजा प्रोत्साहन उपायों के बाद चीन को लेकर नजरिया बदल रहा है।