Commodity Market: स्टॉक मार्केट की तरह ही कमोडिटी मार्केट में भी मुनाफा कमाया जा सकता है। भारत में कमोडिटी मार्केट इनवेस्टर्स और ट्रेडर्स के बीच वेल्थ क्रिएशन का एक पॉपुलर तरीका बन गया है। इस बढ़ती लोकप्रियता के कई कारणों में से एक कारण यह है कि कमोडिटी मार्केट की टाइमिंग बेहद सुविधाजनक है। इसके चलते देश भर के कई ट्रेडर्स इस मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं। ऑनलाइन कमोडिटी ट्रेडिंग के जरिए आप कीमती धातुओं में इनवेस्ट करके हर बार उनकी कीमत बढ़ने या कम होने पर पैसा कमा सकते हैं। कमोडिटी मार्केट में कमोडिटी की कीमतों में उतार-चढ़ाव का फायदा उठाकर मुनाफा कमाया जा सकता है।
कमोडिटी मार्केट को फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (FMC) द्वारा रेगुलेट किया जाता है, जिसका हेडक्वार्टर मुंबई में है। यह सेबी का एक डिवीजन है, जिसे 2015 में सेबी के साथ मर्ज कर दिया गया था।
क्या होता है कमोडिटी मार्केट
कमोडिटी मार्केट एक फाइनेंशियल मार्केटप्लेस है जहां कई तरह की कमोडिटी के डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट (जैसे फ्यूचर्स एंड ऑप्शन) खरीदे और बेचे जाते हैं। इसके तहत गोल्ड, एनर्जी, मेटल, क्रूड ऑयल, और मसाले समेत कई कमोडिटीज की ट्रेडिंग की जाती है।
भारत में कमोडिटी को मोटे तौर पर दो कैटेगरी में बांटा गया है- हार्ड कमोडिटी और सॉफ्ट कमोडिटी। जिन कमोडिटीज को माइनिंग के जरिए निकाला जाता है, उन्हें हार्ड कमोडिटीज कहा जाता है। हार्ड कमोडिटी को भी दो सब-ग्रुप में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला मेटल (गोल्ड, कॉपर, प्लेटिनम, जिंक, एल्युमीनियम और सिल्वर) और दूसरा एनर्जी (गैसोलीन, क्रूड ऑयल, हीटिंग ऑयल और डीजल) है।
सॉफ्ट कमोडिटीज की बात करें तो इसमें एग्रीकल्चर के जरिए पैदा किए गए कमोडिटीज आते हैं। इसे भी दो सब-ग्रुप में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला एग्रीकल्चर कमोडिटीज है। इसमें अनाज, दालें, तेल, तिलहन, फाइबर और मसाले शामिल हैं। इसके दूसरे सब-ग्रुप में मांस और पशु आते हैं, जिनमें फीड कैटल और अंडे जैसे कमोडिटीज शामिल हैं।
भारत में उपलब्ध कमोडिटी एक्सचेंज कौन-कौन से हैं
जिस तरह शेयरों की ट्रेडिंग स्टॉक एक्सचेंज पर होती है, वैसे ही कमोडिटीज की ट्रेडिंग कमोडिटी एक्सचेंज पर होती है। यहां भारत के मुख्य कमोडिटी एक्सचेंज के नाम दिए गए हैं।
- इंडियन कमोडिटी एक्सचेंज (ICEX)
- मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ़ इंडिया (MCX)
- नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX)
- बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)
मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MCX) और नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) कमोडिटी एक्सचेंजों की इस लिस्ट में सबसे लोकप्रिय एक्सचेंज हैं। इनमें हर दिन इस मार्केट सेगमेंट में मजबूत ट्रेडिंग वॉल्यूम देखने को मिलता है।
कैसे कर सकते हैं ट्रेडिंग
कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपके पास एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए। इसे आप अपने पसंदीदा ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म पर ओपन कर सकते हैं। कमोडिटीज में आप फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट या ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के जरिए ट्रेड कर सकते हैं, जो कि आमतौर पर डेरिवेटिव के ही प्रकार हैं।
अगर आप डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको अपना PAN कार्ड, आधार कार्ड, आयु प्रमाण, आय प्रमाण और बैंक अकाउंट स्टेटमेंट सबमिट करना होगा। आप ये डॉक्यूमेंट ऑनलाइन अपलोड कर सकते हैं।
क्या है कमोडिटी मार्केट में इनवेस्टमेंट के नफा-नुकसान?
कमोडिटी मार्केट में इनवेस्ट करने का पहला फायदा यह है कि इससे आपके पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन होता है। देश की इकोनॉमी जब सही चल रही हो तो आम तौर पर निवेशक इक्विटी मार्केट में इनवेस्ट करते हैं। हालांकि, मंदी के समय निवेशक सेफ इनवेस्टमेंट ऑप्शन जैसे गोल्ड और ऑयल में इनवेस्ट करना बेहतर समझते हैं। इसका मतलब है कि आप कमोडिटी मार्केट में इनवेस्ट रिस्क मैनेजमेंट कर सकते हैं। कमोडिटी ब्रोकर्स यूजर्स से कम मार्जिन की मांग करते हैं जिससे आप ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।
इसके अलावा, कुछ कमोडिटी जैसे गोल्ड, सिल्वर और ऑयल ने ट्रेडर्स को महंगाई से हमेशा बचाया है। जब महंगाई बढ़ती है तो गुड्स और सर्विसेज की कीमतें भी बढ़ती हैं। इसके साथ ही कमोडिटी की कीमतें भी बढ़ने लगती है। इन्हीं कमोडिटी को ट्रेड करके आप अपने इनवेस्टमेंट पर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि, कमोडिटी मार्केट के कुछ डिसएडवांटेज भी हैं। पहला तो यह है कि इसमें स्टॉक या बॉन्ड मार्केट के मुकाबले कम रिटर्न मिलता है। स्टॉक या बॉन्ड मार्केट में आप डिविडेंड या कूपन के जरिए भी कमाई कर सकते हैं, जबकि कमोडिटी मार्केट में यह ऑप्शन नहीं होता।