SEBI New F&O Rule: फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) को लेकर SEBI के नए नियम सामने आ गए हैं। इसमें से कई नियम अगले महीने 20 नवंबर से लागू हो जाएंगे। शेयर बाजार में आज की गिरावट की पीछे, मिडिल ईस्ट की लड़ाई के अलावा जो दूसरा सबसे बड़ा कारण था, वो यही F&O नियम था। अब हर एक्सचेंज पर एक हफ्ते में सिर्फ एक एक्सपायरी होगी। SEBI का कहना है कि उसने निवेशकों को घाटे से बचाने के लिए ये नियम बनाए हैं। आइए आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) में निवेश करने वाले निवेशकों पर इन नियमों का क्या असर पड़ेगा?
SEBI ने जो सबसे बड़ा बदलाव किया है, वो यह है कि उसने वीकली ऑप्शंस की संख्या घटा दी है। अब हर स्टॉक एक्सचेंज को सिर्फ एक वीकली ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट की इजाजत होगी। अब तक क्या हो रहा था कि डेली किसी ने किसी इंडेक्स की एक्सपायरी हो रही थी। SEBI का मानना है कि रिटेल निवेशकों को जो सबसे बड़ा घाटा हो रहा है, वो इसी डेली एक्सपायरी के चलते हो रहा था। हफ्ते के 5 दिन में 6 एक्सपारी हो रही थी। इसमें 2 एक्सपायरी बीएसई की है- सेंसेक्स और बैंकएक्स। जबकि एनएसई की 4 एक्सपायरी है- निफ्टी, बैंक निफ्टी, फिन निफ्टी और मिडकैप सिलेक्ट।
अब नए नियम आने के बाद बीएसई पर वीकली एक्सपायरी की संख्या 2 से घट एक हो जाएगी। वहीं एनएसई की चार से एक हो जाएगी। हालांकि एनएसई के लिए यहां ये तय करना मुश्किल रहेगा, कि वो किस एक्पायरी को चुनता है। खासतौर से निफ्टी और बैंक निफ्टी में से किसी एक चुनना काफी मुश्किल होना वाला है, क्योंकि ये दोनों ट्रेडर्स के बीच में काफी लोकप्रिय थे।
SEBI ने दूसरा जो सबसे बड़ा बदलाव किया है, वो ये है कि उसने डेरिवेटिव ट्रेडिंग के लिए कांट्रैक्ट साइज को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹15 लाख कर दिया है। SEBI का मानना है कि इस कदम से छोटी कैपिटल वाले रिटेल निवेशक कुछ हद F&O से रिस्की ट्रेड से दूर हो जाएंगे। हालांकि इसका कितना असर होगा ये देखा जाना अभी बाकी है।
SEBI ने इसके अलावा भी कई अहम कदम उठाए हैं। SEBI ने कहा कि ब्रोकर्स को अब 1 फरवरी से ऑप्शन बायर्स से अपफ्रंट प्रीमियम वसूलना होगा। हालांकि अधिकतर ब्रोकर्स पहले से अपफ्रंट वसूली ही करते हैं। इसके अलावा SEBI ने एक्सचेजों को निर्देश दिया है कि वे इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्रा-डे पोजिशन लिमिट की निगरानी भी करें।
लेकिन SEBI ने ये सभी कदम उठाए क्यों हैं? हाल ही में SEBI की एक रिपोर्ट में आई थी, जिसमें बताया गया था कि फ्यूचर्स एंड ऑप्शन (F&O) में पैसा लगाने 93% निवेशक पैसा खो रहे हैं। और जो पैसा कमा रहे हैं, वे अधिकतर बड़े निवेशक हैं। रिटेल निवेशकों का सारा पैसा, इन बड़े निवेशकों के पास जा रहा है। ऐसे में SEBI पर दबाव था कि वह F&O ट्रेडिंग के क्रेज को कम करने के लिए कुछ न कुछ कदम उठाए।
रिटेल निवेशकों को घाटा इसलिए होता है कि क्योंकि अधिकतर लोगों को F&O ट्रेडिंग की टेक्निकल चीजें समझ में नहीं आती है। ऑप्शन में कई तरह के ग्रीक्स होते हैं- जैसे डेल्टा, वेगा, गामा, थीटा। लोग इन्हें बिना जाने कम समय में पैसा कमाने की उम्मीद से सट्टा लगाते जाते हैं। जबकि बड़े निवेशकों के पास इसको समझने के लिए पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर है। वे एल्गो ट्रेडिंग कर रहे हैं। AI का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसलिए उनके पास छोटे निवेशकों के पास बढ़त होती है। इसीलिए रिटेल निवेशकों का 1.8 लाख करोड़ पैसा इन बड़े निवेशकों के पास जा चुका है।
अब SEBI ने रिटेल निवेशकों को इससे बचाने के लिए नए नियम लाए हैं। इसका क्या असर होगा, ये तो नियम लागू होने के बाद ही पता चल पाएगा