नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड की लिस्टिंग सेरेमनी हुई।
डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड का शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर इश्यू प्राइस से 15.17% ऊपर ₹193 पर लिस्ट हुआ। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर शेयर इश्यू प्राइस से 11.90% ऊपर ₹188 पर लिस्ट हुआ। इस इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग का इश्यू प्राइस ₹168 था।
यह IPO 26 सितंबर से 30 सितंबर तक निवेशकों के लिए ओपन था। तीन कारोबारी दिनों में IPO टोटल 114.5 गुना सब्सक्राइब हुआ था। रिटेल कैटेगरी में 85.61 गुना, क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) में 95.74 गुना और नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) कैटगरी में 207.60 गुना सब्सक्राइब हुआ था।
₹158 करोड़ का था डिफ्यूजन इंजीनियर्स का इश्यू
डिफ्यूजन इंजीनियर्स का ये इश्यू टोटल ₹158 करोड़ का था। इसके लिए कंपनी पूरे ₹158 करोड़ के 9,405,000 फ्रेश शेयर इश्यू किए। कंपनी के मौजूदा निवेशक ऑफर फॉर सेल यानी OFS के जरिए एक भी शेयर नहीं बेचे।
मैक्सिमम 845 शेयर के लिए बिडिंग कर सकते थे रिटेल निवेशक
डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड ने IPO का प्राइस बैंड ₹159 से ₹168 तय किया था। रिटेल निवेशक कम से कम एक लॉट यानी 88 शेयर्स के लिए बिडिंग कर सकते थे। यदि आप IPO के अपर प्राइस बैंड ₹168 के हिसाब से 1 लॉट के लिए अप्लाय करते, तो इसके लिए ₹14,784 इन्वेस्ट करने होते।
वहीं, रिटेल निवेशक मैक्सिमम 13 लॉट यानी 1144 शेयर्स के लिए अप्लाय कर सकते थे। इसके लिए निवेशकों को अपर प्राइज बैंड के हिसाब से ₹192,192 इन्वेस्ट करने होते।
इश्यू का 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स के लिए रिजर्व था
कंपनी ने इश्यू का 50% हिस्सा क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए रिजर्व रखा था। इसके अलावा 35% हिस्सा रिटेल इनवेस्टर्स और बाकी का 15% हिस्सा नॉन-इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (NII) के लिए रिजर्व था।
1982 में डिफ्यूजन इंजीनियर्स की स्थापना हुई थी
डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड की स्थापना 1982 में हुई थी। कंपनी वेल्डिंग से जुड़ी कई तरह की सर्विस देती है और भारी उपकरण बनाती है। डिफ्यूजन इंजीनियर्स 20 से ज्यादा देशों में अपनी सर्विस प्रोवाइड करने के साथ अपने प्रोडक्ट भी एक्सपोर्ट करती है। 29 फरवरी 2024 तक कंपनी के पास 130 से ज्यादा योग्य इंजीनियरों की एक टीम थी।
IPO क्या होता है?
जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर्स को आम लोगों के लिए जारी करती है तो इसे इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO कहते हैं। कंपनी को कारोबार बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। ऐसे में कंपनी बाजार से कर्ज लेने के बजाय कुछ शेयर पब्लिक को बेचकर या नए शेयर इश्यू करके पैसा जुटाती है। इसी के लिए कंपनी IPO लाती है।