Diffusion Engineers IPO: डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड आईपीओ निवेश के लिए 26 सितंबर को खुला था और 30 सितंबर को बंद हुआ है। इसका प्राइस बैंड 168 रुपये तय किया गया था। बता दें कि तीन दिन में यह आईपीओ करीबन 115 गुना सब्सक्राइब किया गया था। अब शुक्रवार, 4 अक्टूबर को यह शेयर बीएसई और एनएसई पर लिस्ट हो सकता है। बता दें कि लिस्टिंग से पहले यह आईपीओ ग्रे मार्केट में डगमगा रहा है। आज गुरुवार को इसका जीएमपी 55 रुपये है। बता दें कि पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ने से पैदा हुई चिंता के बीच घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में गुरुवार को चौतरफा बिकवाली हुई और सेंसेक्स में 1,769 अंक और निफ्टी में 547 अंक की भारी गिरावट दर्ज की गई।
ग्रे मार्केट में ₹90 से ₹55 पर आ गया भाव
Investorgain.com के मुताबिक, डिफ्यूजन इंजीनियर्स लिमिटेड आईपीओ ग्रे मार्केट में आज गुरुवार, 3 अक्टूबर को ₹55 प्रीमियम पर उपलब्ध है। इससे पहले 2 अक्टूबर इसका जीएमपी ₹57, 1 अक्टूबर को ₹66 था। वहीं, 26 सितंबर, जिस दिन यह इश्यू खुला था उस दिन इसका जीएमपी ₹90 पर पहुंच गया था। यानी तब से अब तक यह शेयर ग्रे मार्केट में 35 रुपये तक गिर गया। आईपीओ के लिए प्राइस बैंड 159-168 रुपये प्रति शेयर तय किया गया था। आज के जीएमपी के मुताबिक, कंपनी के शेयरों की केवल 32% तक का ही मुनाफा हो सकता है।
क्या है डिटेल
कंपनी ने एंकर निवेशकों से 47.14 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इक्विटी शेयरों को एनएसई और बीएसई पर सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है। वेल्डिंग उपकरण और भारी इंजीनियरिंग मशीनरी बनाने वाली कंपनी डिफ्यूजन इंजीनियर्स ने यूनिस्टोन कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड को इस पेशकश की प्रबंधक नियुक्त किया है।
लगातार गिर रहा शेयर बाजार
शेयर बाजार में आज गिरावट का लगातार चौथा दिन रहा। बड़ी गिरावट के बीच निवेशकों की संपत्ति एक ही दिन में 9.78 लाख करोड़ रुपये घट गई। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘इजराइल पर ईरान की तरफ से बैलिस्टिक मिसाइल दागे जाने के बाद घरेलू बाजारों में तेज गिरावट आई। दरअसल, अब इजराइल की तरफ से तेल उत्पादक ईरान पर जवाबी कार्रवाई करने की आशंका बढ़ गई है जो इस संघर्ष को बड़ा रूप दे सकता है।’’ नायर ने कहा, ‘‘वायदा एवं विकल्प (एफएंडओ) खंड के लिए सेबी के नए नियमों ने भी बाजार में सौदों की संख्या कम होने से जुड़ी चिंता बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ चीन में बाजार का मूल्यांकन आकर्षक होने से विदेशी निवेशकों ने अब अपनी पूंजी का रुख उधर मोड़ दिया है जिससे भारतीय शेयरों पर दबाव बढ़ गया है।’’