29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 3,000 से ज्यादा शहरी लोकल बॉडी से एक सरकारी डेटा इकट्ठा किया गया है, जिसमें ये सामने आया है कि सर्वे में शामिल 38,000 कामगारों में से कम से कम 91.9% SC, ST और OBC कैटेगरी से हैं। डेटा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से शुरू किए गए NAMASTE कार्यक्रम के तहत लिया गया था, जिसका मकसद काम के दौरान सीवेज और सेप्टिक टैंक क्लीनर का अनुभव और उनके हेल्थ रिस्क के खतरों के मुद्दे को संबोधित करना है।
इसकी स्थापना इस बात को ध्यान में रखते हुए की गई थी कि असुरक्षित सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के कारण देश भर में 377 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी, ये संसद में बताया गया है।
सर्वेक्षण किए गए श्रमिकों में, 68.9% SC वर्ग से थे, 14.7% OBC थे, 8.3% ST से, और 8% जनरल कैटेगरी के अंतर्गत आते थे।
NAMASTE प्रोग्राम के तहत, सरकार ने व्यापक रूप से सेप्टिक और सीवर टैंक की सफाई में लगे मजदूरों की प्रोफाइल बनाई गई। इसका मकसद सीवर का रखरखाव को पूरी तरह से मशीनों के जरिए करना और सफाई के खतरनाक तरीकों से जुड़ी मौतों को खत्म करना है।
कांग्रेस ने फिर उठाया जाति जनगणना का मुद्दा
सर्वे के आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि वह इन समूहों के लोगों के जीवन जीने के तरीके पर रोशनी डालने के लिए हर कीमत पर जाति जनगणना कराएगी।
कांग्रेस ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “देश के सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 92% लोग SC, ST, OBC वर्ग से आते हैं। ये आकंड़ा बताता है कि SC, ST, OBC वर्ग के लोग किन हालातों में अपना जीवन यापन करने को मजबूर हैं।”
इसने आगे लिखा, “आज जातिगत जनगणना की जरूरत इसलिए है, ताकि सरकार की योजनाओं में इन वर्ग की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। कांग्रेस हर कीमत पर जातिगत जनगणना कराकर रहेगी और देश के 90% लोगों को उनका हक दिलाकर रहेगी।”