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इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज को आज भी गोल्ड फ्यूचर्स में वॉल्यूम बढ़ने का इंतजार, जानिए क्या है पूरा मामला

गुजरात की गिफ्ट सिटी में इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (आईआईबीएक्स) के डेरिवेटिव सेगमेंट में वॉल्यूम तीन महीने बाद भी ना के बराबर है। हालांकि, एक्सचेंज में स्पॉट गोल्ड में वॉल्यूम अच्छा है। इस साल जून में आईआईबीएक्स में गोल्ड फ्यूचर्स की शुरुआत हुई थी। ज्वेलरी कम्युनिटी में इस प्रोडक्ट में कुछ दिलचस्पी दिखाई है। वह हेजिंग के लिए इसका इस्तेमाल करने को तैयार है। लेकिन, इसमें वॉल्यूम नहीं होने की वजह से वह इसका फायदा नहीं उठा पा रहा है।

आईआईबीएक्स के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि ज्वेलर्स हेजिंग के लिए गोल्ड फ्यूचर्स का इस्तेमाल करना चाहते हैं। लेकिन, उन्हें लिक्विडिटी के लिए मार्केट मेकर्स का इंतजार है। मार्केट मेकर्स दो तरफा कोट्स ऑफर करते हैं। इसलिए, दूसरी तरफ भी कोट या प्राइस ऑफर करने के लिए मौजूद होना चाहिए। एक्सचेंज के गोल्ड फ्यूचर्स में वॉल्यूम तभी बढ़ेगा विदेशी बैंकों के साथ ब्रोकर्स एक्सचेंज में आएंगे। उनके पास दो तरफा प्राइस कोट करने की क्षमता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस प्रोडक्ट में बैंकों की दिलचस्पी कम रही है, क्योंकि इसके लिए इनटर्नल सिस्टम एडजस्टमेंट, रिस्क मैनेजमेंट फ्रेमवर्क का डेवलपमेंट और बोर्ड एप्रूवल्स जरूरी है। इन सभी में काफी समय लगता है। IIBX के एमडी अशोक कुमार गौतम ने कहा कि फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स लॉन्च होने के तुरंत बाद वॉल्यूम नहीं बढ़ता है। उन्होंने कहा, “ट्रेडिंग मेंबर्स और क्लियरिंग मेंबर्स ने हमें बताया है कि उन्होंने अपने आईटी वेंडर्स से संपर्क किए हैं। उनके मिड ऑफिस (रिस्क मैनेजमेंट) और बैक ऑफिस (सेटलमेंट) से जुड़े काम पूरे कर लेने की उम्मीद है।”

उन्होंने कहा कि ट्रेडिंग मेंबर्स का कहना है कि जैसे ही वे पूरी तरह तैयार हो जाते हैं, मेबर्स अपने क्लाइंट्स को अच्छी तरह से डेरिवेटिव प्रोडक्ट में ट्रेडिंग ऑफर कर सकेंगे। इसके अलावा क्लाइंट्स ने आईआईबीएस पर अपने गोल्ड प्राइस को हेज करने की इजाजत देने और मार्जिन मनी भेजने के लिए एडी बैंकों से संपर्क किया है। उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेडिंग मेंबर्स फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए एपीआई डेवलप कर रहे हैं। इससे क्लाइंट्स को रियल टाइम प्राइस उपलब्ध होंगे।

आनंद राठी में कमोडिटीज और करेंसीज के डायरेक्टर नवीन माथुर ने कहा कि इसकी बड़ी वजह प्रोडक्ट की समस्या नहीं है बल्कि इंडिया में हेजिंग के बारे में कम नॉलेज का होना है। अमेरिका और दूसरे मार्केट्स में डेरिवेटिव्स बिजनेसे का 70 फीसदी सिर्फ हेजिंग के लिए होता है। इंडिया में लोग अपने रिस्क को कवर करने के लिए डेरिवेटिव्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहते। हालांकि, 2022 में लॉन्चिंग के बाद से स्पॉट गोल्ड में वॉल्यूम अच्छा रहा है।

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