देश भर में आम जनता मंहगाई की मार से जूझ रही है। पेट्रोल –डीजल के आसामन छूते दाम से जनता परेशान है। इधर कच्चे तेल के दाम अंतराराष्ट्रीय बाजार में पिछले 2.5 साल के निचले स्तर पर हैं। कच्चे तेल के दाम में भारी गिरावट आई है। लेकिन इसका फायदा अभी तक ग्राहकों तक नहीं पहुंचा है। तेल कंपनियों ने अभी तक पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अभी तक कोई कटौती नहीं की है। मार्च से लेकर अब तक तेल कंपनियों को पेट्रोल में 15 रुपये और डीजल में 12 रुपये का मुनाफा बढ़ा है। हालांकि अभी तक इसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिला है।
27 सितंबर 2024 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 84 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 71.31 डॉलर हो गए हैं। कीमतों में लगातार गिरावट जारी है। इससे अनुमान जताया जा रहा है कि इस साल सरकार आयात के बिल के तौर पर 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत कर सकती है।
ग्राहकों को क्यों नहीं मिल रहा है फायदा?
इन्वेस्टमेंट इन्फॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (Investment Information and Credit Rating Agency) इंक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि मार्च से अब तक कच्चे तेल की कीमत 12 फीसदी की गिरावट आई है। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सऊदी अरब उत्पादन बढ़ाने को कच्चे तेल के लिए 100 डॉलर प्रति बैरल के अपने मूल्य लक्ष्य को छोड़ने की तैयारी कर रहा है। इससे आने वाले समय में कीमतों में और गिरावट की आशंका है, जिससे घरेलू कंपनियों के मुनाफे में और बढ़ोतरी हो सकती है। ऐसे में इंक्रा का कहना है कि चाहे तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां अपने ग्राहकों को फायदा दे सकती है। लेकिन अभी तक कंपनियों ने ऐसा नहीं किया है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पिछले कई महीनों से मुनाफे की चांदी काट रही हैं। कंपनियां लंबे समय से पेट्रोल-डीजल के दाम स्थिर बनाए हुए हैं।
इन तेल कंपनियों की हो गई चांदी
देश की तीन बड़ी तेल कंपनियां भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और इंडियन ऑयल ने तगड़ा मुनाफा कमाया है। इन तीनों कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023-24 में कुल 81,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है। इसमें इंडियन ऑयल का मुनाफा 39,619 करोड़ रुपये रहा है। भारत पेट्रोलियम का 26,673 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान पेट्रोलियम ने 14,694 करोड़ रुपये मुनाफा हुआ है।
सरकार को 13,000 करोड़ की बचत
कहा जा रहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने से सरकार को मोटी रकम की बचत होती है। एक डॉलर प्रति बैरल की गिरावट से भारत के आयात बिल परकरीब 13,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत होती है। साल 2024 के आर्थिक सर्वेक्षण में इस वित्त वर्ष में कच्चे तेल की औसत कीमत 84 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि अब यह 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल के बीच में है।