स्टॉक मार्केट्स के निवेशकों के लिए साल 2024 शानदार है। पिछले तीन साल में इस साल निफ्टी का रिटर्न सबसे ज्यादा रह सकता है। 2024 के पहले 9 महीनों में निफ्टी50 ने 21 फीसदी रिटर्न दिया है। 2023 में भी निफ्टी का प्रदर्शन अच्छा था। इसने 20 फीसदी रिटर्न दिया था। 2022 में निफ्टी का रिटर्न सिर्फ 4.3 फीसदी था। 2015 के बाद से निफ्टी का रिटर्न किसी साल निगेटिव नहीं रहा है। लेकिन, खास बात यह है कि इस बार भी निफ्टी की तेजी में दिग्गज स्टॉक्स की हिस्सेदारी कम रही है।
Nifty50 की तेजी में इस साल सबसे ज्यादा योगदान ICICI Bank का रहा है। इसका कंट्रिब्यूशन 526 प्वाइंट्स रहा है। भारती एयरटेल का कंट्रिब्यूशन 526 प्वाइंट्स रहा है। महिंद्रा एंड महिंद्रा का कंट्रिब्यूशन 317 प्वाइंट्स रहा है। 2024 में Nifty अब तक 4,500 प्वाइंट्स चढ़ा है। निफ्टी में सबसे ज्यादा वेटेज HDFC Bank का है। लेकिन, रैली में उसका कंट्रिब्यूशन ज्यादा नहीं रहा है। इस साल एचडीचएफसी बैंक का स्टॉक्स सिर्फ 4 फीसदी चढ़ा है। उसका प्रदर्शन निफ्टी के मुकाबले काफी कमजोर रहा है।
एक तरह जहां मार्केट्स में आई तेजी में निवेशकों ने खूब मुनाफा कमाया है वहीं दूसरी तरफ शेयरों की कीमतों में उछाल से इंडियन मार्केट दुनिया में सबसे महंगे मार्केट बन गया है। दक्षिण अफ्रीका का कोस्पी डॉलर में 2 फीसदी गिरा है। जकार्ता कंपोजिट 8.1 फीसदी और फिलीपींस 14.4 फीसदी चढ़ा है। ताइवान का TAIEX 2024 में अब तक 22.3 फीसदी चढ़ा है।
महंगा होने के बावजूद जेफरीज ने कहा है कि लंबी अवधि में इंडियन मार्केट का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। हालांकि, घरेलू रिटेल निवेशकों और संस्थागत निवेशकों के निवेश में उतारचढ़ाव का असर मार्केट पर दिख सकता है। जेफरीज के इंडिया स्ट्रेटेजिस्ट महेश नंदुरकर ने इंडियन मार्केट में शॉर्ट टर्म में थोड़ा उतारचढ़ाव की उम्मीद जताई है। हाल में जेफरीज के ग्लोबल इक्विटी स्ट्रेटेजिस्ट क्रिस वुड ने भी कहा था कि लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से इंडियन मार्केट अट्रैक्टिव है।
अभी निफ्टी में एक साल के फॉरवर्ड अर्निंग्स के 21.5 गुना पर ट्रेडिंग हो रही है। इसके मुकाबले Kospi की वैल्यूएशन सिर्फ 8.8 गुनी है। ताइवान के TAIEX की वैल्यूएशन 16.8 गुना और जकार्ता कंपोजिट की करीब 14 गुनी है। पिछले काफी समय से घरेलू निवेशक काफी पैसा स्टॉक मार्केट में निवेश कर रहे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक इंडियन मार्केट की हाई वैल्यूएशन को लेकर थोड़ी सावधानी बरत रहे हैं। नंदुरकर ने कहा कि विदेशी निवेशकों को सबसे बड़ी चिंता मार्केट की वैल्यूएशन की है।