HDFC बैंक ने 60 अरब रुपये (71.7 करोड़ डॉलर) के हाउसिंग लोन पोर्टफोलियो की बिक्री की है। होम लोन इंडस्ट्री पर बढ़ते रेगुलेटरी दबाव के बीच बैंक का इरादा अपने क्रेडिट लोड को कम करना है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताया कि प्राइवेट डील के जरिये इस पोर्टफोलियो को तकरीबन आधा दर्जन सरकारी बैंकों को बेचा गया है। इस बैंक ने तकरीबन 90.6 अरब रुपये के कार लोन पोर्टफोलियो की भी बिक्री की है। अगस्त में खबर आई थी कि बैंक अपने कुछ लोन पोर्टफोलियो को बेचने के लिए दर्जन भर लोकल एसेट मैनेजमेंट कंपनियों से बातचीत कर रहा है।
इस डील से साफ है कि मार्केट वैल्यू के लिहाज से देश का सबसे बड़ा बैंक अपने रिटेल लोन पोर्टफोलियो को छोटा करने की कोशिशों में जुटा है। दरअसल, बैंकिंग रेगुलेटर बैंकों पर क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो में सुधार के लिए काफी दबाव बना रहा है। इस लोन पोर्टफोलियो की बिक्री से HDFC बैंक को क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो सुधारने में मदद मिलेगी, जिसकी हालत पिछले कुछ वर्षों में काफी खराब हुई है। इस दौरान क्रेडिट ग्रोथ, डिपॉजिट ग्रोथ के मुकाबले काफी तेज रही है।
सूत्रों ने बताया कि HDFC के कार लोन के लिए जिन इकाइयों को पास-थ्रू सर्टिफिकेट को सब्सक्राइब किया है, उनमें ICICI प्रूडेंशियल AMC, निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड, SBI फंड्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और कोटक महिंद्र एसेट मैनेजमेंट कंपनी शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, सर्टिफिकेट्स में तीन चरणों में 8.02% से 8.20% मंथली यील्ड का ऑफर दिया गया है। SBI फंड के प्रवक्ता ने कार लोन डील की पुष्टि की है। HDFC बैंक और अन्य बायर फंड ने इस बारे में पूछे गए सवालों के जवाब नहीं दिए।
लिक्विडिटी की समस्या
रेटिंग एजेंसी मूडीज से जुड़ी इकाई ICRA लिमिटेड के मुताबिक, HDFC ने जून में 50 अरब रुपये के लोन पोर्टफोलियो की बिक्री की थी। मार्च के अंत में उसका क्रेडिट-डिपॉजिट रेशियो 104% था जो पिछले तीन वित्त वर्ष के 85% से 88% के आंकड़े से बेहतर था।