BSE on SME Listing: छोटी और मंझली कंपनियों यानी SME की लिस्टिंग को लेकर स्टॉक एक्सचेंज BSE ने सख्त रूप अपनाया है। बीएसई ने बैंकर्स को इनके आईपीओ ड्राफ्ट पर निगरानी बढ़ाने को कहा है। बीएसई ने ये बातें हाल ही में कुछ आईपीओ ड्राफ्ट में खामियों के पाने के बाद कही है। यह जानकारी न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग को सूत्रों के हवाले से मिली है। बीएसई के चीफ एग्जेक्यूटिव सुंदररमन रामामूर्ति ने मंगलवार को बैंकर्स से यह सुनिश्चित करने को कहा कि आईपीओ ड्राफ्ट में आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर तो नहीं दिखाए गए हैं। इसके अलावा बैंकर्स को सभी डिटेल्स खुद कंपनी के ठिकाने पर जाकर चेक करने को कहा है।
SEBI का भी सख्त रुझान
इस महीने की शुरुआत में ब्लूमबर्ग न्यूज ने खुलासा किया था कि बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) SME की लिस्टिंग को लेकर सख्त नियम बनाने के पक्ष में है। जैसे कि वे आईपीओ के पैसों का इस्तेमाल कैसे करते हैं, इसकी निगरानी की जाए और बैंकर्स के लिए भी नियम सख्त किए जाएं। एसएमई को लेकर सेबी ने जांच भी शुरू कर दी है और न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को सूत्रों के हवाले से जो जानकारी मिली, उसके मुताबिक सेबी ने ऑडिटर्स और एक्सचेंजों को चौकन्ना रहने को कहा है ताकि उन कंपनियों की लिस्टिंग रोकी जा सके जिनके आईपीओ ड्राफ्ट में जानकारी सही नहीं दिख रही है। पिछले महीने सेबी ने अगस्त में कहा था कि निवेशकों को SME मे निवेश को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि कुछ कंपनियां और उनके मेजॉरिटी स्टेकहोल्डर्स कारोबार को गलत तरीके से बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं।
BSE और NSE पर लिस्ट होती हैं SMEs के शेयर
मेनबोर्ड के आईपीओ ड्राफ्ट की जांच सेबी करता है जबकि एसएमई के आईपीओ ड्राफ्ट की जांच वह एक्सचेंज करता है, जिस पर शेयरों की लिस्टिंग होनी है। पिछले कुछ समय से एसएमई के आईपीओ की बाढ़ सी आ गई है और इनकी ताबड़तोड़ लिस्टिंग ने बड़ी संख्या में निवेशकों को आकर्षित भी किया है। कई आईपीओ तो ऐसे रहे, जिन्हें 400 गुना से अधिक सब्सक्रिप्शन मिला।